दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

22 अक्टूबर, 1947: पाकिस्तान की हिमाकत को मिला था करारा जवाब - lg manoj sinha

22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला करने का दुस्साहस किया था. लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी थी. पाकिस्तानियों ने मानवता को शर्मसार करने वाली घटना को अंजाम दिया था. कश्मीर के लोग इसे काला दिवस के रूप में याद करते हैं. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस अवसर पर दो दिनों तक चलने वाले एक कार्यक्रम की शुरुआत की.

मनोज सिन्हा
मनोज सिन्हा

By

Published : Oct 22, 2020, 5:46 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 6:52 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में पहली बार 22 अक्टूबर, 1947 की स्मृति में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. इसका उद्घाटन उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया.

बता दें कि 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान समर्थित कबायलियों ने कश्मीर पर आक्रमण किया था और हमले को नाकाम करने के लिए भारतीय सैनिकों को हवाई मार्ग से घाटी पहुंचाया गया था, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ था.

22 अक्टूबर 1947 की स्मृति में संगोष्ठी का आयोजन

इस अवसर पर उप-राज्यपाल सिन्हा ने कहा कि यह कार्यक्रम कश्मीर में एक ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि यह लोगों और विशेष रूप से युवाओं के बीच कश्मीर पर पाकिस्तान की बुरी नीतियों और अत्याचारों के बारे में जागरुकता पैदा करने में काफी मददगार सावित होगा.

सिन्हा ने कहा कि यह दिन कश्मीर के लोगों पर पाकिस्तान और उसकी सेना द्वारा की गई ज्यादती और क्रूरता का स्मरण करता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने बुरे कामों में सफल नहीं हुआ और न ही जम्मू-कश्मीर में इतनी साजिशों के बावजूद वह कभी सफल हो पाएगा.

सिन्हा ने मकबूल शेरवानी और अन्य लोगों की भूमिका की प्रशंसा की, जिन्होंने पाकिस्तान समर्थित कबायलियों से लड़ाई लड़ी थी.

जम्मू-कश्मीर उप-राज्यपाल के सलाहकार बसीर खान ने कहा कि कश्मीरी लोगों ने पाकिस्तान से आए हमलावरों को करारा जवाब दिया था. उन्होंने कहा कि यह कश्मीर के लोगों और विशेष रूप से बारामूला में उन लोगों की कोशिश और बहादुरी थी, जिन्होंने पाकिस्तान समर्थित कबायलियों का डटकर मुकाबला किया था.

एसकेआईसीसी में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सहयोग से राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान कला इतिहास, संरक्षण एवं संग्रहालय विज्ञान द्वारा आयोजित की जा रही यह संगोष्ठी इस दिन के ऐतिहासिक विमर्श को सामने लाएगी.

एक अधिकारी ने बताया कि संगोष्ठी द्वारा प्रस्तावित विषय पर भविष्य की प्रदर्शनी / संग्रहालय के आकार और आकृति को रेखांकित करना प्रस्तावित है. इस तरह की पहल का उद्देश्य इतिहास के इस चरण के बारे में लोगों में जागरुकता लाना है. इस कार्यक्रम से यह स्मरण करने में मदद मिलेगी कि स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद देश ने पहली लड़ाई कैसे लड़ी थी.

पढ़ें :-जम्मू को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग, कई संगठनों से प्रस्ताव पारित

अधिकारी ने कहा, 'दुनियाभर में संग्रहालय और प्रदर्शनियों को इस तरह के ऐतिहासिक आख्यानों को प्रदर्शित करने वाले स्थलों के रूप में स्वीकार किया जा रहा है.'

अधिकारी ने कहा कि संग्रहालय या प्रदर्शनी 22 अक्टूबर, 1947 की ऐतिहासिक कथा का दस्तावेजीकरण करने और जीवंत करने का एक मंच बनेगा.

बता दें कि 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया था, इस दौरान बड़े पैमाने पर लूट और बर्बरता हुई थी. हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को निर्दयता से मार दिया गया था.

26 अक्टूबर, 1947 को तत्कालीन डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद भारतीय सैनिकों को कबायली आक्रमणकारियों को पीछे धकेलने के लिए श्रीनगर पहुंचाया गया था.

Last Updated : Oct 22, 2020, 6:52 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details