नई दिल्ली : किसान आंदोलन का 27वां दिन है. किसान नेताओं ने दावा किया कि वार्ता के लिए अगली तारीख के संबंध में केंद्र के पत्र में कुछ भी नया नहीं है. केंद्र के नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हरियाणा और उत्तरप्रदेश से लगी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों ने क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की है.
क्रांतिकारी किसान यूनियन के गुरमीत सिंह ने कहा कि किसान नेताओं के अगले कदम के लिए मंगलवार को बैठक करने की संभावना है. किसान संगठन बिहार जैसे दूसरे राज्यों के किसानों से भी समर्थन लेने का प्रयास कर रहे हैं.
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों किसान कड़ाके की सर्दी में पिछले लगभग चार सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं.
नए कृषि कानूनों के विरोध में अलग-अलग स्थानों पर किसानों का धरना सोमवार को भी जारी रहा. किसानों ने इस दौरान 24 घंटे की भूख हड़ताल की.
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो.
किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद नौ दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था.
हरियाणा कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा ने क्या कहा जानें
हरियाणा कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा ने सोमवार को यह कहते हुए केंद्र पर निशाना साधा कि किसान हफ्तों से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उनकी पीड़ा से उस पर कोई असर नहीं पड़ा है.
शैलजा ने दावा किया कि 30 से अधिक प्रदर्शनकारी किसानों की मृत्यु हो गई है, लेकिन इस सबका भाजपा सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, जिसने असंवेदनशीलता की सभी सीमाएं पार कर ली हैं.
उन्होंने यहां एक बयान में कहा, ‘‘भाजपा सरकार का रवैया हमें अंग्रेजों द्वारा देश के लोगों के खिलाफ किए गए जुल्म की याद दिलाता है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया, 30 से अधिक किसान अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं, जिसके लिए भाजपा सरकार सीधे जिम्मेदार है. निर्दयी भाजपा सरकार अपने अहंकार में डूबी हुई है.
उन्होंने कहा, भाजपा सरकार का यह क्रूर चेहरा देश के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा.
किसान संगठनों ने दावा किया है कि 30 से अधिक प्रदर्शनकारी किसानों की दिल का दौरा पड़ने और सड़क दुर्घटनाओं सहित विभिन्न कारणों से मृत्यु हो गई है.