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जानें उन तीन कृषि अध्यादेशों के बारे में, जिनके विरोध में उतरे किसान - agricultural ordinances

कोरोना वायरस के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसे में संसद सत्र के शुरू होने के साथ प्रदर्शन भी शुरु हो चुके हैं. दिल्ली के जंतर मंतर पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिती के नेता और कार्यकर्ताओं ने सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर आज देशव्यापी विरोध की शुरुआत की.

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कृषि अध्यादेशों के विरोध में उतरे किसान संगठन

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Published : Sep 14, 2020, 3:04 PM IST

Updated : Sep 14, 2020, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते प्रकोप के बीच सोमवार से संसद का सत्र शुरू हुआ, तो कषि अध्यादेशों के विरोध प्रदर्शनों का दौर भी शुरू हुआ. मोदी सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिए लाए गए तीन अध्यादेशों का देश भर के किसान संगठन विरोध करते रहे हैं और आज जब सरकार संसद में इन तीनों अध्यादेशों को कानून बना कर अमली जामा पहनाने की तैयारी में है, वहीं दूसरी तरफ देश भर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

दिल्ली के जंतर मंतर पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिती के नेता और कार्यकर्ताओं ने सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर आज देशव्यापी विरोध की शुरुआत की. AIKSCC के राष्ट्रीय संयोजक ने जानकारी दी कि आज देशभर में जिला और तालुके स्तर पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिती से जुड़े 200 जे ज्यादा किसान संगठनों की स्थानीय इकाइयां जिला और तहसील में इस तरह से विरोध प्रदर्शन आयोजित कर रही हैं और प्रसाशन को ज्ञापन सौंप रहे हैं.

तीन कृषि अध्यादेश सरल भाषा में :-

  1. केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिए तीन अध्यादेश लाए गए हैं. बतौर सरकार, इनका उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाना और उन्हें बिचौलियों से मुक्ति दिलाना है. ये ध्यादेश हैं- कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) अध्यादेश जिसके तहत किसान मंडी से बाहर भी अपने उत्पाद को बेचने के लिये स्वतंत्र होगा और मंडी के हस्तक्षेप को नगण्य करने के उद्देश्य से इसे लाया गया है.
  2. दूसरा अध्यादेश है किसान मूल्य आस्वाशन समझौता और कृषि सेवा (सशक्तिकरण व संरक्षण) जिसके तहत किसान फसल से पहले ही प्राइवेट कंपनियों से सीधे अपने फसल की कीमत तय कर बेच सकते हैं. इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत एक मूल्य पर किसान और प्राइवेट कंपनी के बीच पहले ही समझौता हो जाएगा और उसी तय कीमत पर उत्पाद को कंपनी द्वारा फसल तैयार होने पर खरीदा जाएगा.
  3. तीसरा अध्यादेश आवश्यक वस्तु कानून में बदलाव है, जिसके बाद कई फसलों पर से भंडारण की सीमा को समाप्त कर दिया जाएगा. सरकार का पक्ष है कि इससे किसानों को स्वतंत्रता मिलेगी कि वह अपने फसल को जब चाहे तब बेच सके और अपने इच्छानुसार उसे स्टॉक भी कर सके.

किसान संगठनों का पक्ष
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिती के राष्ट्रीय संयोजक सरदार वीएम सिंह का कहना है कि ये तीनों अध्यादेश किसान विरोधी और कॉर्पोरेट और प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं. किसानों ने कभी इनकी मांग नहीं की. लंबे समय से हम केवल दो मांगे सरकार के सामने रखते रहे हैं, जिसमें एक है पूर्ण कर्जा माफी और दूसरा है एमएसपी की गारंटी. सरकार ऐसा कानून लाए, जिसके तहत किसानों को एमएसपी की गारंटी मिले और जो इससे कम में खरीदे उस व्यापारी पर कानूनी कार्रवाई हो. लेकिन इनके बजाय सरकार किसानों को कॉर्पोरेट के चंगुल में फंसाने वाले अध्यादेश लाई है. इनसे किसानों के हाथ में कुछ नहीं रहेगा और आगे सरकार एमएसपी भी खत्म कर देगी. वीएम सिंह ने कहा कि देश भर के किसान संगठन और एआईकेएससीसी लगातार इसका विरोध करते रहेंगे.

स्वराज अभियान के नेता और AIKSCC के सह संयोजक योगेंद्र यादव भी आज विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. योगेंद्र यादव ने कहा कि कोरोना काल में पिछले दरवाजे से यह सरकार अध्यादेश लाई और अब संसद में इसे कानून बनाने की तैयारी कर रही है. अगर यह किसान हितैषी अध्यादेश हैं तो किसान संगठनों से इस पर चर्चा क्यों नहीं कि गई? कोरोना काल का फायदा उठा कर तीन किसान विरोधी अध्यादेश लाए गए, जो किसानों ने कभी मांगे नहीं. योगेंद्र यादव ने उम्मीद जताई कि संसद में भी इसका विरोध किया जाएगा.

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किसान संगठनों के अलावा देश की मुख्य विपक्षी पार्टियों ने भी इन तीन अध्यादेशों का विरोध किया है. आरएसएस की किसान इकाई भारतीय किसान संघ ने भी इन अध्यादेशों का समर्थन नहीं किया है. ऐसे में देखना होगा कि जब इन तीन अध्यादेशों को संसद के पटल पर रखा जाता है, तो विपक्ष का इन पर क्या रुख रहता है.

Last Updated : Sep 14, 2020, 11:03 PM IST

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