हैदराबाद : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने सोमवार की शाम को भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था. 1962 के बाद यह पहली बार है जब इस क्षेत्र में तनाव पैदा हुआ है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह वह इलाका है, जहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा स्पष्ट रूप से परिभाषित है और दोनों ही देशों ने इसे स्वीकार भी किया है. हालांकि चीन इस क्षेत्र में अपना दखल बताता है और अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति के सहारे आगे बढ़ रहा है.
चीन की विस्तारवादी नीति दुनिया के लिए खतरा है. हाल ही में इसका उदाहरण तब देखना को मिला है जब उसने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया. चीन ने सदैव से ही विस्तारवादी नीति अपनाई है. उसे लगता है तिब्बत उसकी मुट्ठी में है. इतना ही नहीं वह भूटान, लद्दाख, नेपाल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश को अपनी हथेली की पांच उंगलियां समझता है. भूटान से भारत को दूर करने की चीन की रणनीति जब विफल हो गई तो उसने 2017 में डोकलाम क्षेत्र में गतिरोध पैदा कर दिया.
चीन की रणनीति भारत-चीन के बीच 1993 में हुई संधि का उल्लंघन करने की है. इस संधि के अनुसार दोनों देशों की सेनाओं को नियंत्रण रेखा की वास्तविक स्थिति का सम्मान करना होगा, जब तक अंतिम समझौता नहीं हो जाता. इतना ही नहीं संधि में यह तय हुआ कि दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर गश्त के दौरान हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगी.
गौरतलब है कि भारत सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द कर दिया. इससे भी चीन नाराज है और लगातार परेशानी पैदा करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि इससे कहीं न उसकी विस्तारवादी नीति भी प्रभावित हुई है. लद्दाख में हुई हिंसक झड़प के बाद भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को चेतवनी दी थी. उन्होंने कहा था कि चीन के हर कदम का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. इसके बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन भारतीय प्रधानमंत्री के बयान की कितनी परवाह करता है या पलट कर जवाब देता है.
चीन के मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' के संपादकीय कॉलम में कहा गया है कि भारत ने गलत धारणा पाल रखी है कि चीन अमेरिका के दबाव के कारण सीमाओं पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कुछ नहीं कर सकता और कुछ भारतीय इस भ्रम में हैं कि भारतीय सेना चीनी सैनिकों से अधिक मजबूत है. चीन भारत के बारे में झूठी खबरें गढ़ रहा है. जैसे कि चीन ने कहा कि भारत ने उसके क्षेत्र में घुसकर अतिक्रमण किया है और उसके क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण कार्य कर रहा है. लेकिन सच यह है कि यदि चीन को अक्साई चिन यानि पाकिस्तान द्वारा अधिकृत कश्मीर से चीन को सौंपे गए क्षेत्र पर पकड़ बनाए रखनी है तो उसे उन क्षेत्रों में नियंत्रण बनाकर रखना होगा जहां अभी हाल ही में भारतीय सेना से झड़प हुई है. साथ ही मोदी सरकार द्वारा लिए जा रहे कड़े फैसले और प्रशांत एशिया क्षेत्र में भारत के नए राजनीति समीकरण जो भारत के पक्ष में है चीन के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं.
चीन का कहना है कि भारत को सीमाओं को सुनिश्चित करने के लिए पश्चिमी देशों से दूरी बना लेनी चाहिए. हाल में अमेरिका राष्ट्रपति ने G-7 में भारत के साथ-साथ रूस, ऑस्ट्रेलिया और साउथ कोरिया को न्योता दिया था, जिससे चीन परेशान हो गया था. हालांकि चीन इसलिए भी दुखी है कि जी -7 में भारत का समावेश अमेरिका की एक योजना है. चीन कोविड महामारी के स्रोत का पता लगाने के लिए भारत के समर्थन से और भी अधिक परेशान है.
विश्लेषकों का कहना है कि चीन जब भी सार्वजनिक अशांति या गृहयुद्ध की स्थिति पैदा करता है तो नई रणनीति बनाता है. इसलिए भी चीन अपने लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सीमाओं पर युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर रहा है. वास्तव में, यह कहा जाता है कि अतीत में भी घरेलू विफलताओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए युद्धों का सहारा लिया गया था. चीन के नापाक इरादों को सार्वजनिक करने और इसका दृढ़ता से सामना करने के लिए भारत को अपने हथियारों को जखीरा बढ़ाने की जरूरत है.
हालांकि झड़प से पहले चीन और भारत के बीच कमांडर स्तर पर वार्ता हुई थी और मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का निर्णय लिया गया था. इसके बाद भी चीनी सैनिकों ने सोमवार शाम भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए. वहीं चीन के भी 35 सैनिकों की हताहत होने की खबर है. गौरतलब है कि पिछले छह सप्ताह से चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुसने का प्रयास कर रहे थे. इससे यह पता चला है कि बींजिंग में शीर्षाधिकारी पुराने सीमा विवाद को भड़काना चाहते हैं.