नई दिल्ली: जब से जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया है. तब से लेकर आज तक कश्मीर से 13 हजार युवा लापता हैं. उनके बारे में कोई खबर नहीं है. यह दावा मुस्लिम महिला मंच ने किया है. मंच की अध्यक्ष हमिदा सईद हैं. उनके नेतत्व में एक तथ्य अन्वेषण समिति (फैक्ट फाइंडिंग कमेटी) कश्मीर गई थी.
यह कमेटी 17 से 21 सितंबर के बीच कश्मीर गई थी. कमेटी मेंएन्नी राजा (नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन), पूनम कौशिक (प्रगति महिला समिति), कंवलजीत कौर और पंखुरी ज़हीर (NFIW) शामिल थे.
टीम ने सुरक्षा बलों पर बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल होने का आरोप लगाया है. टीम ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपनी रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट जारी होने के बाद मुस्लिम महिला मंच की अध्यक्ष सईदा हमीद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए मांग की है कि सरकार को इंटरनेट और मोबाइल फोन सहित कश्मीर में सभी संचार सेवांए बहाल करनी चाहिए.
हमीद ने कहा कि जम्मू कश्मीर के राजनीतिक भविष्य के बारे में सभी निर्णय क्षेत्र के लोगों के साथ बातचीत कर हल किए जाने चाहिए.
उन्होंने कहा कि घाटी में बच्चों और महिलाएं सबसे ज्यादा प्रताड़ित हैं.
बता दें, टीम ने जम्मू कश्मीर यात्रा के दौरान, शोपियां, पुलवामा और बांदीपोरा का दौरा किया. टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोई भी नागरिक रात आठ बजे के बाद सड़क पर नहीं घूम सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर से करीब 13 हजार युवक लापता हैं और उनके बारे में किसी को कोई सूचना नहीं है.
रिपोर्ट में एक घटना क जिक्र करते हुए कहा गया है कि बांदीपोरा में, एक लड़की ने अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए एक दीपक जलाकर रखने की 'गलती' की, तो सेना के लोगों ने उन पर कर्फ्यू को भंग करने का आरोप लगाया और उसके पिता और भाई को दूर ले गए और उन्हें तब से हिरासत में रखा है.
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इतना ही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में अस्पताल भी आम दिनों की तरह नहीं चल रहे हैं.
इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि जब कश्मीर में अभिभावकों ने अधिकारियों से अपने बच्चों को बचाने के लिए कहा गया तो उन्होंने उनसे बीस हजार रूपये से साठ हजार रूपये तक जमा करने को कहा गया.
रिपोर्ट में एक घटना का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अवसाद की वजह से एक वकील कर्ण की मौत हो गई. और जब बार एसोसिएशन सचिव द्वारा शोक संवेदना जारी की गई, तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया.