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अनुच्छेद 370 का खात्मा केंद्र सरकार का सराहनीय फैसला : प्रो. गणेश सैली

कसौली लिट फेस्ट में शिरकत करने आए मशहूर लेखक प्रो. गणेश सैली से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने मेनिफेस्टो में भी अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प लिया था. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 70 सालों में जितना पैसा कश्मीर को दिया है, उतना किसी को नहीं और यह सारा माल वहां के कुछ ही लोग हड़प गये. पढ़ें पूरी खबर...

गणेश सैली

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Published : Oct 13, 2019, 4:44 PM IST

शिमला : इन दिनों देशभर के महान साहित्यकार सोलन में खुशवंत सिंह की स्मृति में आयोजित कसौली लिट फेस्ट में शिरकत कर रहे हैं. इस खास कार्यक्रम में मशहूर साहित्यकार प्रो. गणेश सैली ने भी शिरकत की. ईटीवी भारत से खास बातचीत में गणेश सैली ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर केंद्र सरकार की तारीफ की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सोच समझकर फैसला लिया है.

गणेश सैली ने कहा कि देश ने 5 जिलों के लिए 70 साल तक सफर किया, उन्होंने याद दिलाया कि 27 अक्टूबर, 1947 के बारे में कोई याद नहीं करता. उस समय कबीले कश्मीर में घुस गये थे, जिसे सब भूल चुके हैं. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत यहीं से हुई थी और अब इसे समाप्त कर दिया गया है. इस फैसले के लिए पूरे देश ने 70 सालों तक इंतजार किया है.

इस निर्णय से आने वाले समय में देश में शांति बनी रहेगी
केंद्र सरकार ने अपने मेनिफेस्टो में भी अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प लिया था, इसमें से हमारे जवानों के बॉडी बैग्स आए, उन्हें हम कैसे भूल सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह एक शल्य चिकित्सा है, इसमें थोड़ा बहुत दर्द तो होगा. उन्होंने सरकार के इस निर्णय का समर्थन किया और कहा कि इससे आने वाले समय में पूरे देश में शांति बनी रहेगी.

अनुच्छेद 370 पर ईटीवी भारत से बात करते प्रो. गणेश सैली का विशेष.

गणेश सैली ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 70 सालों में जितना पैसा कश्मीर को दिया है, उतना किसी को नहीं और यह सारा माल वहां के कुछ ही लोग हड़प गये. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में लद्दाख से भी कई लोग आए हैं और उनसे भी उनकी बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि यहां यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है, क्योंकि यहां के लोगों को मानसिक रूप से इसके लिए तैयार करने की आवश्यकता थी, जो नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि अब जो भी होगा, अच्छा ही होगा.

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गणेश सैली एक परिचय

प्रो. गणेश सैली मूल रूप से चमोली गढ़वाल के सैल गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने पहाड़ को करीब से जिया और देखा है. उनकी एक प्रसिद्ध पुस्तक 'वंडरिंग थ्रू द गढ़वाल हिमालया' है, जिसमें पहाड़ का लोकजीवन जीवंत होता दिखाई दिया था. गणेश शैली अब तक करीब 30 पुस्तकें लिख चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने रस्किन बॉन्ड के साथ 8 से 10 पुस्तकें लिखी हैं. गणेश सैली विशेष रुप से हिमालय पर पुस्तकें लिखते हैं.

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