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कोरोना संकट : नीदरलैंड में भारत के राजदूत ने ईटीवी भारत से साझा की अपनी राय - भारत के राजदूत वेणु राजामोनी

ईटीवी भारत के लिए स्मिता शर्मा से बात करते हुए वेणु ने कहा कि जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों का अनुंसधान केन्द्र नीदरलैंड में है. यह भारत और नीदरलैंड के लिए एक अवसर है जिसके आधार पर हम अनुसंधान के क्षेत्र में मिलकर काम कर सकते हैं.

वेणु राजामोनी
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Published : Apr 23, 2020, 9:33 PM IST

नई दिल्ली : नीदरलैंड में भारत के राजदूत वेणु राजामोनी का कहना है कि दोनों देश कोरोना वायरस के साथ-साथ बहुत सारे अन्य मुद्दों पर एक दूसरे का व्यापक सहयोग कर सकता है.

ईटीवी भारत के लिए स्मिता शर्मा से बात करते हुए वेणु ने कहा कि जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों का अनुंसधान केन्द्र नीदरलैंड में है. यह भारत और नीदरलैंड के लिए एक अवसर है जिसके आधार पर हम अनुसंधान के क्षेत्र में मिलकर काम कर सकते हैं.

नीदरलैंड ने सीमित लॉकडाउन लगाया है. भारत ने इस पर नजर बना रखा है. अगर नीदरलैंड सफल हुआ, तो इस मॉडल को भारत भी स्वीकार कर सकते है.

राजदूत ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दूतावास को स्पष्ट निर्देश दे रखा है, जिसमें हर भारतीय को हर संभव मदद देने को कहा गया है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अलग-अलग राजदूतों से बात करते समय पीएम ने कहा था कि कोरोना के खिलाफ जो भी बेहतर रणनीति हो सकती है, उसे जरूर साझा करें. उन्हं पीपीई और रैपिड टेस्टिंग किट को लेकर वहां की सरकारों से बेहतर समन्वय करने पर जोर देने को कहा गया है. अगर इन देशों को भारतीय चिकित्सकों की जरूरत है, तो उस पर तुरंत सूचना देने को कहा गया है.

राजदूत राजामोनी ने आश्वासन दिया कि कुछ सप्ताह पहले पारगमन में फंसे भारतीय छात्रों को आवश्यक सहायता प्रदान की गई थी और देश में अन्य लोगों के भोजन और आवास अनुरोधों को संबोधित किया जा रहा है.

वेणु राजामोनी

राजदूत ने यह भी कहा कि नीदरलैंड की व्यापारिक कंपनियों ने भारत में आपूर्ति श्रृंखलाओं के बारे में कुछ चिंताओं को उठाया है, जिन पर चर्चा चल रही है. उन्होंने कहा कि आईटी सेक्टर आने वाले दिनों में भारतीयों के लिए अधिक अवसर प्रदान करेगा.

क्या चीन को लेकर सतर्कता बरतने को कहा गया है, इस सवाल के जवाब में राजामोनी ने कहा कि यूरोपियन देश भी मानते हैं कि कंपनियों के चीनी अधिग्रहण को लेकर सबको जागरूक हो जाना चाहिए. लेकिन इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है. यूरोपियन देशों का मानना है कि अभी कोरोना के पोस्टमॉर्टम का समय है, ना कि एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का.

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