रायपुर : छत्तीसगढ़ की धरती को दोबारा हराभरा करने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में 'पौधा तुंहर द्वार' योजना की शुरुआत की है. महासमुंद जिला प्रशासन भी जिले की हरियाली को लेकर काफी सजग है. यहां हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत विभिन्न प्रजाती के लगभग 16 लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे तीन चरणों में पूरा किया जाना है. वन विभाग पौधरोपण करवाकर ग्रामीणों को रोजगार दे रहा है.
कोरोना काल और लॉकडाउन ने जहां लोगों के रोजगार को प्रभावित किया है, वहीं महासमुंद में प्रशासन ने मजदूरों को पौधरोपण के कार्य में लगाकर रोजगार देने का काम किया है. यहां मनरेगा के तहत 28 हजार मजदूरों को रोजगार दिया गया है.
महासमुंद जिले में 10 पौध रोपण केंद्र के जरिए काम किया जा रहा है. 14 मजदूरों को मनरेगा के तहत और अन्य 14 हजार मजदूरों को विभाग मद से पैसे दिए गए हैं. बेरोजगारी के इस दौर में जब लोग रोजगार के लिए भटक रहे हैं, ऐसे वक्त में इन ग्रामीणों को 27 लाख से भी अधिक का भुगतान किया गया है.
यह हैं आंकड़े -
- जिले में 10 रोपण केंद्र हैं.
- 16 लाख 31 हजार 114 पौधे रोपित किए गए.
- 74 विभिन्न प्रजातियों के पौधे तैयार किए गए.
- 28 हजार मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया.
- मनरेगा के तहत 14 हजार मजदूरों को 27 लाख 83 हजार 918 रुपये का भुगतान हुआ
- 14 हजार मजदूरों को अन्य सरकारी मदों से भुगतान किया गया.
74 विभिन्न प्रजातियों के पौधों में महुआ, इमली, करण, अर्जुन, नीम, शीशम, जामुन, बेहरा, मुनगा, शिशु सिरस, अमरुद, हमार, कुसुम, निलगिरी, गुलमोहर, बेल, खैर, कटहल, कचनार, सीता फल शामिल हैं. सरकार और प्रशासन की इस पहल ने कई समाजिक संस्थाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है.