हैदराबाद : पूर्व-ब्रिटिश दिनों में हिंदू और मुसलमानों को क्रमशः पाठशालाओं और मदरसों के माध्यम से शिक्षित किया गया था, लेकिन ब्रिटिशों के आगमन के साथ पढ़ाई के लिए नया मिशनरी सिस्टम आया.
उन्होंने भारतीय का एक वर्ग बनाने का लक्ष्य रखा, जो खून और रंग में भारतीय हो, लेकिन स्वाद में अंग्रेजी हों, जो सरकार और जनता के बीच दुभाषियों के रूप में काम करें.
आज,भारत एक तेजी से विकास करने वाला देश है, जिसमें समावेशी, उच्च-गुणवत्ता वाली शिक्षा अपनी भविष्य की समृद्धि के लिए अत्यधिक महत्व रखती है.
वर्तमान में देश में युवाओं की एक बड़ी तादाद है. भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है - यहां 25 वर्ष से कम आयु के 600 मिलियन युवाओं की एक सेना है. इसके अलावा पूरी तरह से 28 फीसदी आबादी 14 वर्ष से कम है, और हर मिनट में 30 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, जनसंख्या विकास दर के लगभग एक प्रतीशत तक रहने की उम्मीद है.
उम्मीद जताई जा रही है कि भारत 2022 तक आबादी के मामले में चीन से आगे निकल जाएगा और 2030 तक लगभग 1.5 बिलियन लोगों की वृद्धि होगी.
यह जनसांख्यिकीय परिवर्तन आर्थिक विकास और विकास का एक शक्तिशाली इंजन हो सकता है.
यदि भारत अपनी शिक्षा प्रणाली का आधुनिकीकरण और विस्तार करने, शैक्षिक प्राप्ति स्तर बढ़ाने और अपने युवाओं को कौशल प्रदान करने का प्रबंधन करता है, तो वह अन्य देशों से आगे निकल सकता है.
सरकार द्वारा उठाए गए कुछ अहम कदम
- मई 2020 में, सरकार ने पीएम ई-विद्या डिजिटल / ऑनलाइन शिक्षा के लिए मल्टी-मोड एक्सेस के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया. लॉन्च की जाने वाली अन्य पहलों में मन-दर्पण, न्यू नेशनल करिकुलम एंड पेडागोगिकल फ्रेमवर्क, नेशनल फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी मिशन शामिल हैं.
- केंद्रीय बजट 2020-21 के अनुसार, सरकार ने स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के लिए 99,300 करोड़ रुपये आवंटित किए.
- 2022 के लिए रिवाइटलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स इन एजुकेशन (RISE) की घोषणा की और इसके 3000 हजार करोड़ आवंटित किए गए.
- केंद्रीय बजट 2020-21 के तहत, सरकार ने लगभग 150 उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए मार्च 2021 तक अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री / डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रस्तावित किए.
- फरवरी 2020 तक, भारत में 254,897 प्रशिक्षण केंद्र पंजीकृत किए गए और लगभग दो करोड़ उम्मीदवारों ने प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल अभियान (PMGDISHA) के तहत प्रशिक्षण पूरा किया.
- सरकार ने विदेशी छात्रों को उच्च शिक्षण संस्थानों में लाने के लिए एक नई योजना 'स्टडी इन इंडिया' को बढ़ावा दिया.
- कौशल भारत मिशन को बढ़ावा देने के लिए दो नई योजनाएं, Knowledge Awareness for Livelihood Promotion (SANKALP) और Skill Strengthening for Industrial Value Enhancement (STRIVE) को अनुमोदित किया गया.
- इसके अलावा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों, शैक्षणिक संस्थानों और आम जनता के बीच जुड़ाव बढ़ाने के लिए एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB) अभियान चलाया जाता है.
शिक्षा बजट
1948-49 में शिक्षा के लिए पहली बार बजट आवंटित किया गया था, उस समय यह बजट 13,860 हजार रुपये था.
इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय को 22.19 हजार रुपये का अनुदान, जबकि बनारस और अलीगढ़ विश्वविद्यालयों को विकास के उद्देश्य से 11 हजार रुपये का अनुदान दिया गया था. इसके अलावा जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय को 32 हजार रुपये का अनुदान दिया गया था.
विश्व भारती में विभिन्न प्रशिक्षण योजनाओं का बजट 2.2 हजार रुपये रखा गया था. नई दिल्ली में 2.07 हजार रुपये की लागत से नर्सिंग कॉलेज शुरू किया गया.
वहीं, सरकार ने 2020-21 में शिक्षा क्षेत्र के लिए लगभग 99,300 करोड़ रुपये और कौशल विकास के लिए लगभग 3,000 करोड़ रुपये प्रदान करने का प्रस्ताव रखा है.
सामान्य शिक्षा का विस्तार
1951 में, साक्षरता का प्रतिशत 18.3% था. साल 2011 में यह साक्षरता प्रतिशत बढ़कर 74.04 प्रतिशत हो गया. इनमें से पुरुष शिक्षा दर 82.14 प्रतिशत और महिला शिक्षा दर 65.46 प्रतिशत है.
देश में छात्रों के नामांकन की दृष्टि से महाविद्यालयों की संख्या कम है. 18.5 फीसदी कॉलेजों में नामांकन 100 से कम है और 46.7 फीसदी कॉलेजों में छात्रों की संख्या 100 से 500 तक है, जिसका अर्थ है कि 65.2 कॉलेज 500 से कम छात्रों का नामांकन करते हैं.
स्वतंत्रता के बाद भारत की शिक्षा दर
प्राथमिक शिक्षा
प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य कर दिया गया है. प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 2.10 लाख (1950-51) से तीन गुना बढ़कर 6.40 लाख (2001-02) हो गई है.
वर्तमान में छह और 14 वर्ष की आयु के बीच के लगभग 20 फीसदी भारतीय बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं हो पाता है. यहां तक कि नामांकित बच्चों में भी, उपस्थिति दर कम है और 26 फीसदी विद्यार्थियों ने प्राथमिक विद्यालय में 5वीं कक्षा से पहले ही स्कूल जाना छोड़ दिया.
तकनीकी शिक्षा का विकास
अंतरराष्ट्रीय मानक की इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में शिक्षा और अनुसंधान के लिए, सात संस्थानों की स्थापना की गई थी. इसके अलावा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जिन्हें क्षेत्रीय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (आरईसी) कहा जाता है. इनकी पूरे देश में संख्या 17 थी. साथ ही व्यवसाय प्रबंधन और प्रशासन के लिए अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोलकाता, लखनऊ और इंदौर में संस्थान स्थापित किए गए थे. साल 2020 में, देशभर में 126 तकनीकी विश्वविद्यालय हैं.
चिकित्सीय शिक्षा
1950-51 में जहां देश में केवल 28 मेडिकल कॉलेज थे. वहीं, 1998-99 में इनकी संख्या बढ़कर 165 हो गई और 40 डेंटल कॉलेज भी स्थापित किए गए. 2014-15 में 398 मेडिकल कॉलेज थे, जो 2019 -20 में बढ़कर 539 हो गए हैं.
महिला शिक्षा
1950 में महिला साक्षरता 18 प्रतिशत थी, जबकि 1971 में केवल 22 प्रतिशत भारतीय महिलाएं ही साक्षर थीं, 2001 के अंत तक यह संख्या 54.16 फीसदी हो गई.