मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती से पहले उस फैसले को लागू किया, जिसके बारे में पहली बार वाजपेयी सरकार में सोचा गया था. सरकार ने सेना के तीनों अंगो के बीच बेहतर तालमेल बैठाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति को हरी झंडी दिखा दी. जंग के समय में फैसले लेने में देरी से हार और जीत तय हो जाती है. कारगिल जंग के बाद बनी सुब्रह्मण्यम समिति ने अपनी रिपोर्ट में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और रॉ के बीच समन्वय की कमी के कारण हुए नुकसान का खुलकर जिक्र किया था. इस दौरान यह भी बात सामने आई थी कि अगर वायु सेना को पहले ही मैदान में उतारा जाता, तो हालात और बेहतर हो सकते थे.
इतिहास में भी, भारत चीन-युद्ध के दौरान वायु सेना के बाहर रहने से भारत को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था. समन्वय के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, वाजपेयी सरकार ने कुछ समितियां बना कर ऐसी गलतियों को दोबारा होने से रोकने की कोशिश की थी. सीडीएस की नियुक्ति की सिफारिश करने वाली समितियों में, सुब्रह्मण्यम समिति, लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बना मंत्रियों का समूह और 2016 में बनी डीपी शेवतकर समिति शामिल थी. इनके आधार पर प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को सीडीएस के पद की घोषणा की.
आगे की दिशा में अच्छा कदम
इस कदम को मोदी सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्यों के सरकारी फीताशाही के कारण अधूरे रह जाने की घटनाओं को रोकने की तरफ एक पहल की तरह देखा जाएगा. पिछले साल नवंबर में पीएम ने एक उच्च अधिकारियों की बैठक में यह कहा था कि सरकारी अधिकारियों ने उनके पांच साल का समय खराब किया है. और इसके बाद मैं आपको अपने समय का एक दिन भी खराब नहीं करने दूंगा. और अब मोदी ने इस दिशा में एक रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. मोदी ने रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई महत्वपूर्ण मसलों को, रक्षा सचिव के कार्य क्षेत्र से हटाकर सीडीएस के कंधों पर डाल दिया है.
सीडीएस, सेना के तीनों अंगो को लेकर रक्षा मंत्री के लिए प्रधान सलाहकार और न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी पर प्रधानमंत्री के सलाहकार की भूमिका में होगा. इस वजह से सरकार को उम्मीद है कि सैन्य क्षेत्र में बदलावों को गति मिल सकेगी. सीडीएस की नियुक्ति के साथ ही रक्षा खरीद से जुड़े मामलों में भी बदलाव आने की उम्मीद है. सीमित बजट को नजर में रखते हुए सीडीएस प्राथमिकता के आधार पर रक्षा खरीद के मामलों में अपनी राय देंगे. उम्मीद है कि इस कारण से सालों से लंबित पड़े प्रस्ताव, आने वाले दिनों में तेजी के साथ पूरे होंगे.
यह सच है कि इन्हीं देरियों के कारण, बालाकोट हमले के बाद, विंग कमांडर अभिनंदन का विमान क्रैश हुआ था. सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि सीडीएस के ऊपर सेना के तीनों अंगों में बेहतर समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी होगी. आने वाले समय में युद्ध की रणनीति इसी समन्वय पर निर्भर करेगी. दुनिया के बड़े और प्रमुख देशों ने इस प्रणाली को अपने यहां लंबे समय पहले ही अपना लिया है.