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नेशनल हेराल्ड : ईडी ने मुंबई की इमारत का 16.38 करोड़ रुपये का हिस्सा कुर्क किया

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रवर्तित कंपनी एसोसियेटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के सिलसिले में मुंबई के बांद्रा इलाके में एक नौ मंजिला इमारत का एक हिस्सा कुर्क किया है. इसका मूल्य 16.38 करोड़ रुपये आंका गया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 9, 2020, 5:45 PM IST

Updated : May 10, 2020, 6:27 PM IST

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रवर्तित कंपनी एसोसियेटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के सिलसिले में मुंबई के बांद्रा इलाके में एक नौ मंजिला इमारत का एक हिस्सा कुर्क किया है. इसका मूल्य 16.38 करोड़ रुपये आंका गया है.

ईडी ने बताया कि उसने कुर्की का एक तात्कालिक आदेश जारी किया है और इस संबंध में एजेएल तथा उसके चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) व कांग्रेस के नेता मोती लाल वोरा को नोटिस जारी किये हैं.

एजेएल पर गांधी परिवार के सदस्यों सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का नियंत्रण है. एजेएल समूह नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करता है.

संबंधित नौ मंजिला इमारत में दो तहखाने हैं और यह 15,000 वर्ग मीटर में बना हुआ है. इसका कुल मूल्य 120 करोड़ रुपये है.

यह इमारत बांद्रा (पूर्व) में काला नगर के पास ईपीएफ कार्यालय प्लॉट नंबर 2, सर्वे नंबर 341 पर स्थित है.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने इस इमारत के निर्माण में आपराधिक तरीके से जुटाये गये धन का इस्तेमाल किया है. जांच एजेंसी का कहना है कि आरोपियों ने पंचकुला (चंडीगढ़ के पास) में एजेएल को गैरकानूनी तरीके से आवंटित एक भूखंड को गिरवी रखकर दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित सिंडिकेट बैंक से कर्ज लिया. कर्ज की राशि से बांद्रा स्थित इमारत का निर्माण किया गया.

मामले के आरोपियों में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और वोरा शामिल हैं.

एजेंसी ने कहा, 'अत: इस तरह अपराध की आय से तैयार की गयी मुंबई की इस इमारत में 16.38 करोड़ रुपये तक की सम्पत्ति कुर्क की गयी है. आगे की जांच चल रही है.'

ईडी पहले ही पंचकुला स्थित भूखंड को कुर्क कर चुकी है. इस मामले में हुड्डा और वोरा से पूछताछ भी की गयी है.

ईडी ने कहा कि पंचकुला के सेक्टर-6 में भूखंड सी -17 को हरियाणा सरकार ने पहले 1982 में एजेएल को आवंटित किया गया था. बाद में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के संपत्ति अधिकारी ने अक्टूबर 1992 में एक आदेश देकर इस भूखंड को वापस ले लिया था, क्योंकि एजेएल समूह आवंटन के अधिकार पत्र की शर्तों को पूरा नहीं करता था.

एजेंसी ने आरोप लगाया, 'हालांकि, तत्कालीन मुख्मंत्री हुड्डा ने अपनी आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की आवश्यक शर्तों व नियमों के विपरीत 28 अगस्त 2005 को एक नये आदेश के जरिये मूल कीमत तथा ब्याज लेकर 59,39,200 रुपये में फिर से उस भूखंड को एजेएल को आवंटित कर दिया.'

एजेंसी के अनुसार इस समय पंचकुला की इस संपत्ति की वास्तवित कीमत लगभग 64.93 करोड़ रुपये है.

ईडी ने आरोप लगाया है कि हुड्डा ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया. हुड्डा ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और शहरी एवं देहात नियोजन के प्रधान सचिव तथा वित्त सचिव की कानूनी राय और सिफारिशों को नजरअंदाज कर एजेएल को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया.

एजेंसी ने यह भी कहा, इसकी जांच में पाया गया है कि हुड्डा ने "उक्त भूखंड के निर्माण के लिये एजेएल को समय का तीन बार अनुचित रूप से विस्तार दिया. उन्होंने अधिग्रहण के बाद इसे बेदाग संपत्ति के रूप में संरक्षण दिया और इस एक ही संपत्ति को समय समय पर गिरवी रखकर बैंकों से कर्ज उठाया.

इस मामले में सीबीआई ने भी पंचकुला की एक अदालत में दिसंबर 2018 में आरोप पत्र दायर किया था. सीबीआई ने भी इस मामले में कथित अनियमितता बरतने को लेकर वोरा और हुड्डा को आरोपी बनाया है.

ईडी ने सीबीआई की एक प्राथमिकी के आधार पर पंचकुला भूखंड आवंटन को लेकर 2016 में एक आपराधिक मामला दायर किया था. यह हरियाणा सतर्कता ब्यूरो द्वारा दायर आपराधिक प्राथमिकियों और हरियाणा की भाजपा की राज्य सरकार के अनुरोध पर आधारित था.

Last Updated : May 10, 2020, 6:27 PM IST

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