हैदराबाद : कोरोना काल में लोगों की नशे की लत भी बढ़ती जा रही है. शोध से पता चलता है कि लॉकडाउन के दौरान पैदा हुए आर्थिक व सामाजिक संकट ने नशेड़ियों की हालत और बदतर कर दी है. वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2019 के मुताबिक, 2009 की तुलना में ड्रग्स लेने वालों की संख्या 30 प्रतिशत बढ़ गई है.
आंकड़ों से पता चलता है कि अफ्रीका, एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में ओपिओइड ड्रग का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, 2009 में दुनिया भर में नशीले पदार्थों की खपत में 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी और 3.5 करोड़ लोग नशीली दवाओं से होने वाले विकारों से पीड़ित थे. 2004 की तुलना में 2009 में भारत में हेरोइन और अफीम के उपयोग में पांच गुना वृद्धि हुई.
इससे पहले कि संयुक्त राष्ट्र के ये चौंकाने वाले आंकड़ों प्रकाशित होते, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने भारत में दो देशव्यापी ड्रग्स सर्वेक्षण किए. जिसमें यह पता चला कि 15 प्रतिशत भारतीयों को शराब की लत और 8 प्रतिशत को नशे से संबंधित बीमारियां थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 5 करोड़ से अधिक भारतीय मादक द्रव्यों के सेवन करने की वजह से किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे थे, जिनमें से 5 प्रतिशत को चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिली.
बीते दिनों जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 65 करोड़ रुपये की मादक सामग्री जब्त की थी. दिसंबर 2019 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 1,300 करोड़ रुपये के अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल का भंडाफोड़ किया था. लेकिन विशेषज्ञों का दावा है कि ये समंदर में बूंद के सामान है. नशे का कारोबार भयंकर रूप से फैला हुआ है.