लखनऊ : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ 1800 उद्योगों के साथ मिलकर काम कर रहा है. आधुनिक तकनीकों पर काम करके अब तक कई हथियार तैयार किए जा चुके हैं. ये हथियार जल्द ही सेना को सौंप दिए जाएंगे. नई तकनीक पर काम करने का सिलसिला जारी रहेग.
ईटीवी भारत के कृष्णानंद त्रिपाठी के साथ एक विशेष बातचीत में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. जी. सतेश रेड्डी ने कहा कि देश अगले 5-10 वर्षों में 75% स्वदेशीकरण हासिल करेगा.
चेयरमैन रेड्डी ने कहा, 'डीआरडीओ के लिए मेक इन इंडिया एक सुअवसर है. यह देशी तकनीक पर काम करता है. अभी तक हमने कई इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर अनेक रक्षा उत्पादों का विनिर्माण किया है. आकाश मिसाइल का 2500 करोड़ का विनिर्माण इसका बड़ा उदाहरण है. इसके साथ हम 1800 इंडस्ट्रीज के साथ काम कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'ये उद्योग हमसे कुछ न कुछ तकनीक लेकर टायर-1, टायर-2, टायर-3 टाइप की इंडस्ट्रीज चला रहे हैं. अभी तक हम 900 से ज्यादा तकनीक इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित कर चुके हैं. आपने देखा होगा कि 1500 तकनीक 17 इंडस्ट्रीज को हस्तांतरित की गई हैं. इस साल भी अभी तक 40 तकनीक हमने भारतीय इंडस्ट्रीज को ट्रांसफर की है.'
रेड्डी ने कहा, 'हमारी तकनीक लेकर इंडस्ट्री रक्षा उत्पादों का विनिर्माण करती है, यही मेक इन इंडिया है. इसलिए भारत में डीआरडीओ का काम आगे बढ़ता जाएगा. हम कई नई तकनीक डेवलप करने पर भी काम कर रहे हैं, जिससे बेहतर रक्षा उत्पादों का विनिर्माण हो सके. इन उच्च कोटि के रक्षा उत्पादों को तैयार करके भारतीय सेना को उससे लैस करने का लक्ष्य है. इसके बाद उन्हें विदेशियों को भी निर्यात करने का भी लक्ष्य है.'