नई दिल्ली : पूर्व राजनयिक अनिल वाधवा ने इस्लामाबाद में भारत के प्रभारी गौरव अहलूवालिया के वाहन का पीछा करने की घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) अक्सर अपनी खुद की कमजोरी को छिपाने के लिए भारतीय राजनयिकों को परेशान करने की कोशिश करती है.
वाधवा ने बताया कि पाकिस्तान की आईएसआई भारत के खिलाफ साजिश रचने में असफल होने पर बदले की नीयत से अतीत में कई मौकों पर भारतीय राजनयिकों के उत्पीड़न में लिप्त रही है.वाधवा ने कहा कि यह घटना अभी हाल ही में नई दिल्ली में पाकिस्तान के राजनयिकों की जासूसी में लिप्त होने और रंगे हाथ पकड़े जाने पर बदले की भावना से की गई है
जब भी इस तरह की घटना होती है तब पाकिस्तानी सरकार और आईएसआई भारतीय राजनयिकों को परेशान करना शुरू कर देता है. पहले भी डिप्टी हाई कमिश्नर और अब वर्तमान में हाई कमिश्नर गौरव अहलूवालिया का पीछा बाइक सवारों ने किया है. कई बार आईएसआई भारतीय राजनयिकों के घरों के बाहर सुरक्षाकर्मियों को तैनात करता है जो दूतावास में तैनात गार्डों पर दबाव डालते हैं ताकि उनकी जासूसी की जा सके.
रक्षा विशेषज्ञ पीके सहगल ने कहा कि पाकिस्तान की हरकत अक्सर जेनेवा कन्वेंशन के खिलाफ होता है. दुनिया का कोई भी देश इस तरह के कृत्यों को स्वीकार नहीं करेगा और भारत सरकार को इस तरह के कृत्यों का दृढ़ता से जवाब देना चाहिए. पाकिस्तान अक्सर ऐसी गतिविधियों में लिप्त होता है जो अशोभनीय है और वियना कन्वेंशन के अनुसार स्वीकार्य नहीं हैं.
रक्षा विशेषज्ञ एसबी अस्थाना ने कहा कि नई दिल्ली में जो कुछ हुआ है उसपर पाकिस्तान की यह घटिया प्रतिक्रिया है. आईएसआई के जासूस भारत में पाकिस्तान के दूतावास में तैनात थे और उन्हें पूरी दुनिया के सामने उजागर किया गया है. अस्थाना ने कहा कि पूरी दुनिया में राजनयिक इस भाषा को समझते हैं. इस कार्रवाई के साथ वे केवल खुद को नीचा दिखा रहे हैं.
हमारे राजनयिक मजबूत हैं और वे इस तरह की रणनीति का उपयोग कर रहे हैं. पाकिस्तान ने हमेशा इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिक समुदाय के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया है और जिस तरह से उन्होंने हमारे राजनयिक के साथ व्यवहार किया है वह बहुत दुखद है. भारत कभी भी इस तरह से प्रतिक्रिया नहीं देता है.
मार्च में पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग ने इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय को एक कड़ा विरोध पत्र भेजा जिसमें पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा भारत के अधिकारियों और कर्मचारियों के लगातार उत्पीड़न के खिलाफ विरोध जताया गया. नोट के अनुसार, भारत ने मार्च के महीने में उत्पीड़न के 13 उदाहरणों का हवाला दिया और पाकिस्तान को इस तरह की घटनाओं को रोकने और मामले की जांच करने को कहा.
पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों की कार का पीछा, घर के बाहर आईएसआई का पहरा
भारत ने पाकिस्तानी अधिकारियों से इन घटनाओं की तत्काल जांच करने और संबंधित एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि इसी तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. इसमें कहा कि उत्पीड़न की ऐसी घटनाएं 1961 के कूटनीतिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के स्पष्ट उल्लंघन में थीं. और भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों, कर्मचारियों के सदस्यों और उनके परिवारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पाकिस्तान सरकार की है.