हैदराबाद : भारत-नेपाल के बीच लिपुलेख बॉर्डर और कालापानी को लेकर हुये विवाद का पर नेपाल ने अपने कदम पीछे खींच लिये हैं. 8 मई को चीन सीमा पर घटियाबगड़ से लिपु पास सड़क का रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया तभी से नेपाल लगातार इस मामले में आपत्ति जता रहा था.
22 मई को नेपाल ने अपने नए राजनीतिक मानचित्र पर लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताकर विवाद खड़ा कर दिया. भारत ने नेपाल के इस फैसले पर नाखुशी जताकर नेपाल के नए राजनीतिक मानचित्र को सिरे से खारिज कर दिया है. भारतीय राजनयिक दबाव के बाद नेपाल को अपने दावे से हाथ पीछे खींचने पड़े हैं. आखिर भारत नेपाल सीमा पर विवाद क्यों है इसे लेकर ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन ने सुरेंद्र सिंह पांगती से बात की, जो बोर्ड ऑफ रेवेन्यू, उत्तरप्रदेश के रिटायर्ड अधिकारी हैं.
सवाल: नेपाल और भारत के बीच तल्खी की तात्कालिक वजह क्या है?
जवाब:सुरेंद्र सिंह पांगती ने बताया भारत और नेपाल के बीच इस तात्कालिक तल्खी का वजह वहां की कम्युनिस्ट सरकार है. उन्होंने बताया नेपाल में पुरानी सरकार और नई सरकार के बीच राजनीति गतिरोध है. जिससे ध्यान भटकाने के लिए भी इस मुद्दे को उठाया गया है. उन्होंने बताया नेपाल की वर्तमान सरकार का चीन के साथ अच्छा तालमेल भी इसका कारण है, उन्होंने कहा ऐसा भी हो सकता है कि चीन की ओर से उन्हें कुछ कहा गया हो.
सवाल: सुगौली की संधि क्या है, भारत और नेपाल में इसे लेकर क्या मत है?
जवाब:4 मार्च 1816 को ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के राजा ने सुगौली संधि का अनुमोदन कर दिया, जो 2 दिसम्बर 1815 को हस्ताक्षरित था. उससे पहले नेपाल का दखल गढ़वाल, कुमाऊं, हिमाचल और सिक्किम के कुछ इलाकों तक इन दबदबा हो गया था. इस संधि के बाद ब्रिटिश और नेपाल शासन के बीच युद्ध विराम की घोषणा हुई थी.