नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दमघोंटू प्रदूषण के लिये सोमवार को प्राधिकारियों को आड़े हाथ लिया और कहा कि लोग अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं. इसके साथ ही न्यायालय ने पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को तत्काल पराली जलाने पर रोक लगाने का निर्देश दिया.
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान करीब 46 प्रतिशत है.
न्यायालय ने कहा कि खतरनाक प्रदूषण की वजह से हर साल दिल्ली-एनसीआर का दम घुटता है और 'हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं.' सभ्य देश में ऐसा नहीं हो सकता. पराली जलाने वाले किसानों के प्रति उसे कोई सहानुभूति नहीं है क्योंकि वे दूसरों की जान जोखिम में डाल रहे हैं.
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता के 'गंभीर' श्रेणी में रहने के बीच न्यायालय ने कुछ सख्त टिप्पणी की और चेतावनी दी कि पराली जलाने की एक भी घटना के लिए प्रशासन जवाबदेह होगा. न्यायालय ने कई निर्देश जारी किए जिसमें दिल्ली-एनसीआर में अगले आदेश तक सभी निर्माण कार्य और निर्माण गिराने संबंधी गतिविधियों के साथ ही कचरा जलाने पर रोक शामिल है.
न्यायालय ने कहा, 'दिल्ली में रहने के लिये कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है. यहां तक कि लोग अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं है. यह भयावह है.'
न्यायालय ने राजधानी में सोमवार से शुरू की गई दिल्ली सरकार की बहु-प्रचारित सम-विषम योजना पर भी सवाल उठाये और उसे निर्देश दिया कि इससे पहले लागू की गयी इन योजनाओं के दौरान प्रदूषण के स्तर से संबंधित आंकड़े पेश किये जायें.
इस बीच राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक बढ़ने का स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधिकारियों से मंगलवार को पेश होने को कहा.
रविवार को राष्ट्रीय राजधानी का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 494 था जो छह नवंबर 2016 के स्तर 497 के बाद से उच्चतम था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, सोमवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक शाम चार बजे 416 रहा जो अब भी 'गंभीर' श्रेणी में है. बाद में इसमें कुछ और सुधार हुआ.
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पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं के जारी रहने पर नाराजगी व्यक्त करते हुये न्यायालय ने इन राज्यों के मुख्य सचिवों को छह नवंबर को तलब किया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस स्थिति के लिये जवाबदेही निर्धारित की जाये क्योंकि यह नागरिकों के जीने के अधिकार का हनन कर रही है.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एक बार फिर कहा कि केंद्र को किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए वित्तीय सहायता देनी चाहिए.
सिंह ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा, 'गेंद केंद्र के पाले में है और समस्या के समाधान के लिए उसे ठोस निर्णय लेने चाहिए.' इस मामले में उच्चतम न्यायालय में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि केन्द्र के हलफनामे के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान करीब 46 प्रतिशत है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में निर्माण या निर्माण गिराने की गतिविधि होने पर एक लाख रुपये और कचरा जलाने के अपराध में संलिप्त होने पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा.
इस बीच राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को हवा की गति में वृद्धि होने से प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आई. शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक रात में 8.30 बजे घटकर 370 हो गया जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है.
हवा की गति 20 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो जाने से स्थिति कुछ हद तक बेहतर हुयी और दृश्यता स्तर बढ़कर दो हजार मीटर तक हो गया.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि चक्रवाती तूफान 'महा' और एक पश्चिमी विक्षोभ से बुधवार और बृहस्पतिवार को राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तरी मैदानी हिस्सों में बारिश के आसार हैं जिससे स्थिति में और सुधार होगा.
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 0-50 के बीच 'अच्छा', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101-200 के बीच 'मध्यम', 201-300 के बीच 'खराब', 301-400 के बीच 'अत्यंत खराब', 401-500 के बीच 'गंभीर' और 500 के पार 'बेहद गंभीर' माना जाता है.
मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वैदर के महेश पलावत के अनुसार दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में छह और सात नवंबर को बारिश के आसार हैं. उन्होंने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ से हवा की रफ्तार और भी बढ़ेगी.