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संविधान की सुरक्षा को लेकर बुद्धिजीवियों का आह्वान स्वागतयोग्य : CPM - Hannan Mollah on saving constitution

विभिन्न क्षेत्रों की आठ प्रमुख हस्तियों ने देश के लोगों से शांति और एकता कायम रखने के लिए आह्वान किया है. सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह ने उनके इस आह्वान का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे समय, जब पूरे देश में धर्म के नाम पर हिंसा हो रही है, यह आह्वान बेहद जरूरी है. पढ़ें पूरी खबर...

call for saving constitution
हन्नान मोल्लाह

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Published : Jan 13, 2020, 4:50 PM IST

Updated : Jan 13, 2020, 10:53 PM IST

नई दिल्ली : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) ने विभिन्न क्षेत्रों की आठ प्रमुख हस्तियों द्वारा संविधान की सुरक्षा के लिए किए गए आह्वान का स्वागत किया है. सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि वह इस आह्वान का स्वागत करते हैं.

मोल्लाह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि वह इस आह्वान का स्वागत करते हैं. यह आह्वान ऐसे समय हुआ है, जब पूरे देश में धर्म के नाम पर हिंसा हो रही है, यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है.

न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर (पूर्व एससी न्यायाधीश), एसवाई कुरैशी (पूर्व सीईसी), लेफ्टिनेंट जनरल हरचरणजीत सिंह पनाग (पूर्व सेना कमांडर), अदूर गोपालकृष्णन (अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माता), शर्मिला टैगोर (विख्यात फिल्म व्यक्तित्व), टीएम कृष्ण (कर्नाटकी संगीतकार), सुखदेव थोराट (पूर्व यूजीसी अध्यक्ष) और सैयदा हमीद (पूर्व सदस्य, योजना आयोग) ने भारतीय संविधान के 70वें वर्ष में शांति और एकता कायम रखने का आह्वान किया है.

इन बुद्धिजीवियों ने अपने आह्वान में कहा, 'संविधान के 70 वर्ष हमें अपनी सफलता का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करते हैं. इसके साथ ही हमें अपनी कमियों को दूर करने के लिए आत्मनिरीक्षण और संकल्प करने का भी अवसर प्रदान करते हैं.'

सीपीएम नेता से ईटीवी भारत की खास बातचीत

उन्होंने कहा कि क्या संविधान सिर्फ एक नियमावली है, जो निर्वाचित सरकार को सत्ता का दुरुपयोग करने के लिए वैधता का दावा करने में सक्षम बनाती है और नागरिकों की स्वतंत्रता को दूसरों के अधिकारों की अवहेलना करने के लाइसेंस में बदलने की अनुमति देती है?

उन्होंने आगे कहा, क्या यह सिर्फ स्याही से लिखा गया एक पाठ है, या अनगिनत शहीदों के खून में लिखा एक पवित्र पाठ है, जो जाति, धर्म, क्षेत्र, जातीयता और भाषा की बाधाओं को पार कर गए?

मोल्लाह ने कहा कि इस आह्वान की ऐसे समय में अहमियत और बढ़ जाती है, जब पूरे देश में विरोध और हिंसा का माहौल है.

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संशोधित नागरिकता कानून का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह कदम सरकार द्वारा देश को धर्म के आधार पर बांटने के लिए उठाया गया है, जिसका देशव्यापी विरोध हो रहा है.

केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए मोल्लाह ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आरोप लगाया कि वे कानून को तोड़ रहे हैं और ऐसी स्थिति में देश को एकजुट होकर संविधान की रक्षा करनी चाहिए.

Last Updated : Jan 13, 2020, 10:53 PM IST

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