नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच देश के वामपंथी दल जनता की राहत के लिए लगातार अपनी मांग सरकार के सामने रखते रहे हैं. उनका आरोप है कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों और सुझावों को अनदेखा किया है, जिसके कारण देश में आज स्थिति भयावह होती जा रही है. अपनी मांगों के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है.
यह देशव्यापी प्रदर्शन माकपा की तीन प्रमुख मांगों के अलावा मोदी सरकार के बड़े स्तर पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निजीकरण और श्रम कानून में राज्यों के द्वारा किए जा रहे बदलावों के विरोध में भी है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने व्यक्तव्य जारी करते हुए कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह महामारी को ध्यान में रखते हुए पूरी सावधानी से दिशानिर्देशों का पालन करते हुए ही विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लें.
लॉकडाउन के शुरुआत से ही माकपा और अन्य वामपंथी दल भी यह मांग करते रहे हैं कि ऐसे मुश्किल समय में लोगों को सरकार निश्चित आर्थिक मदद दे. उनकी मांग के मुताबिक देश के जिन परिवारों की आमदनी टैक्स श्रेणी में नहीं है उन्हें ₹7500 प्रति माह की आर्थिक सहायता सरकार द्वारा अगले छह महीने तक मिलनी चाहिए.
दूसरी मांग में पार्टी का कहना है कि देश के प्रत्येक नागरिक को 10 किलो अनाज प्रति माह अगले छह महीने तक मिलना चाहिए. तीसरी मांग है रोजगार से संबंधित. माकपा ने सरकार से मांग की थी की मनरेगा के तहत सभी को कम से कम 200 दिनों का रोजगार मिलना सुनिश्चित किया जाए. साथ ही मनरेगा योजना का लाभ शहरों में रहने वाले गरीब लोगों को भी मिलना चाहिए.