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येचुरी ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कोरोना पर गिनाईं सरकार की खामियां

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है. पत्र में मांग रखी है कि कोरोना वायरस पर तबलीगी जमात को लेकर धार्मिक तुष्टिकरण नहीं होने दें, क्योंकि कोरोना वायरस भी किसी जाति,धर्म या समुदाय देख कर प्रभावित नहीं करता. जानें विस्तार से...

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माकपा महासचिव सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)

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Published : Apr 7, 2020, 9:08 PM IST

नई दिल्ली : देश में कोरोना की रोकथाम और उससे संबन्धित तैयारियों के संदर्भ में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) लगातार केंद्र सरकार के कदमों पर सवाल उठा रही है. आज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर देशभर में कोरोना के खतरे और केंद्र सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों का विश्लेषण करते हुए उन्हें नाकाफी बताया है.

प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा पहले थाली और ताली बजाने की अपील और उसके बाद लाईट बंद कर दीप जलाने की बात को महज सांकेतिक बताते हुए सीताराम येचुरी ने कहा है कि एक ऐसे समय में जब पूरा देश एक महामारी से जूझ रहा है. बहुत सारे लोगों ने इस बीच प्रधानमंत्री के एक सांकेतिक अपील को पटाखे जला कर मनाने का काम किया.

येचुरी ने जोर दिया है की आज सांकेतिक कार्यक्रमों की बजाय कोरोना से लड़ने के लिये ठोस से ठोस उपाय करने की जरूरत है. अपने पत्र में माकपा महासचिव ने राष्ट्रपति के सामने अपने तमाम सुझाव रखे हैं और उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की है.

बता दें कि येचुरी इससे पहले भी प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को भी पत्र लिखा था, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. येचुरी ने सबसे पहले केंद्र सरकार के द्वारा देशव्यापी 21 दिन के लॉक डाउन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि महज चार घंटे का समय देते हुए देशव्यापी बंद का आह्वान कर दिया गया, जबकी जनता कर्फ्यू के लिए भी लोगों को दो दिन का समय दिया गया था, ताकी लोग तैयारी कर सकें.

लॉकडाउन की वजह से सबसे बड़ी और गंभीर समस्या उन लाखों मजदूरों के सामने खड़ी हुई, जिनकी आजीविका छिन गई. जब हजारों मजदूरों ने अपने गांव लौटने का प्रयास किया तो उनको तमाम दिक्कतें झेलनी पड़ी और अभी भी हजारों लाखों मजदूर अस्थाई कैंपों और टेंट मे रहने को मजबूर हैं. इस समय उनके लिए फसल कटाई का मौसम है और अगर वो अपने गांव जा सकेंगे तो अपने परिवार की मदद कर सकेंगे. जिस तरह से प्रवासी भरतीय को विदेशों से वापस लाने के लिये विशेष विमानों की व्यवस्था की गई उसी तर्ज पर मजदूरों के लिये भी विमान न सही, लेकिन स्पेशल ट्रेनों और बसों का इन्तजाम किया जाना चाहिए था.

देश के करोड़ों मध्यम वर्गीय परिवारों द्वारा लिये गये लोन की किश्तों को तीन महीने के लिये आगे बढ़ा देनी चाहिए और इस समय उनसे ब्याज नहीं लेना चाहिए. साथ ही देश भर में आने वाले कृषि संकट को देखते हुए किसानों के कर्ज को भी तत्काल माफ कर देना चाहिए. येचुरी ने कहा कि केंद्र सरकार अब तक देश के कॉर्पोरेट का 7.78 करोड़ के लोन को माफ कर चुकी है और अब समय है कि हमारे अन्नदाताओं को भी इसी तर्ज पर लाभ दिया जाए.

अभी तक जो रिपोर्ट सामने आए हैं उनसे ये भी स्पष्ट है की हमारे देश के अस्पतालों में सुविधाओं की भारी कमी है और मैडिकल स्टाफ भी कई जगह बिना उचित सुविधाओं और सुरक्षा किट के बिना काम करने को मजबूर हैं. ऐसे में उनके लिये जो भी जरूरी किट, यंत्र या सुविधायें मुहैया करने की जरूरत है.

कोविड-19 के लिये विशेष रूप से बनाए गए पीएम केयर्स फंड पर भी सवाल उठाते हुए सीताराम येचुरी ने राष्ट्रपति को लिखा है कि देश में जब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सहायता फंड पहले से मौजूद था, ऐसे में इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी. इस फंड के माध्यम से इकट्ठा हुई धन राशी को राज्यों के बीच बांटा जाना चाहिए ताकी राज्य कोरोना से लड़ने के उपायों पर उसे खर्च कर सकें.

सीताराम येचुरी ने कोरोना जैसी महामारी को संप्रदायिक रंग देने का भी आरोप लगया है. अपने पत्र में येचुरी ने कहा है कि तबलिगी जमात ने जो किया वो बेहद गैरजिम्मेदाराना है, लेकिन इसके कारण एक पूरे समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. अगर इसे नहीं रोका गया तो कोरोना जैसी महामारी के खिलाफ लड़ाई में हम पूरे देश को एक साथ नहीं जोड़ पाएंगे. येचुरी ने कहा कि उसी समय में देश भर में कई और धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियां भी चल रही थी और देश की संसद भी काम कर रही थी. मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट हुआ और एक नई सरकार ने समारोह में शपथ ग्रहण किया.

माकपा महासचिव ने राष्ट्रपति के सामने मांग रखी है कि ऐसे मुश्किल समय में वो इस मुद्दे का धार्मिक तुष्टिकरण न होने दें क्योंकि कोरोना वायरस भी किसी जाति, धर्म या समुदाय देख कर प्रभावित नहीं करता. राष्ट्रपति को लिखे पत्र में सीताराम येचुरी ने सरकार की कई नीतियों की आलोचना करते हुए उनसे युद्ध स्तर पर कार्य करने की मांग की है.

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