नई दिल्ली : केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अमेरिकी दवा कंपनी गिलीड साइंसेज की वायरस रोधी दवा रेमडेसिविर को भारतीय बाजार में बेचने की अनुमति दे दी है. इसका उपयोग अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए किया जाएगा.
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है इसलिए रेमडेसिविर को बेचने की अनुमति दी गई है. उन्होंने बताया कि यह रेमडेसिविर इंजेक्शन के रुप में दवाई की दुकानों में उपलब्ध होगा और डॉक्टर के प्रिसक्रिपशन के बिना नहीं बेचा जाएगा. इस दवा को कोविड-19 के उपचार में अहम बताया जा रहा है.
अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए इस दवा को आपातकाल में उपयोग के लिए स्वीकृति प्रदान की है.
जानकारी के अनुसार यूएसएफडीए या अन्य किसी प्रतिष्ठित नियामक की मंजूरियों के आधार पर भारतीय नियामक दवा को नए औषधि और क्लीनिकल परीक्षण नियम, 2019 के प्रावधानों के अनुरूप विशेष परिस्थितियों में क्लीनिकल ट्रायल से छूट देने के साथ स्वीकृति प्रदान की है. वहीं गिलीड साइंसेज इंक ने रेमडेसिविर के उत्पादन और वितरण के लिए तीन बड़ी घरेलू कंपनियों- सिप्ला, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज और हीटीरो समेत कुछ अन्य कंपनियों के साथ लाइसेंसिंग समझौता किया है.
बता दें कि अमेरिकी कंपनी ने यह आवेदन ऐसे समय में किया जब दो भारतीय कंपनियां- सिप्ला और हीटीरो लैब्स ने भारत में रेमडेसिविर के उत्पादन और बिक्री की अनुमति के लिए दवा नियामक के पास आवेदन किया. एक अधिकारी ने बताया कि इन कंपनियों ने रेमडेसिविर के लिए क्लीनिकल ट्रायल से छूट की मांग की है ताकि मरीजों के लिए तेजी से दवा उपलब्ध कराई जा सके.
बता दें कि, अमेरिकी फार्मा दिग्गज गिलियड साइंसेज ने भारत के ड्रग रेगुलेटर को अपने एंटी वायरल ड्रग रेमेडिसविर के मार्केटिंग के लिए आवेदन किया था. जिसे कोविड19 के संभावित उपचार के रूप में देखा जा रहा है. सीडीएससीओ विशेषज्ञ समिति की मदद से आवेदन की जांच करेगी. इसके बाद कमिटी के सुझावों को देखते हुए अंतिम निर्णय लेंगे.
गिलियड साइंसेज दवा का पेटेंट धारक है. इस ड्रग को कोविड 19 के उपचार के लिए सही माना जा रहा है. ड्रग के पेटेंट धारक गिलीड साइंसेज ने इससे संबंधित तमाम डाटा को पूरा भी कर दिया.
संयुक्त राज्य अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने अस्पताल में भर्ती कोरोनो वायरस संक्रमितों के इलाज के लिए दवा को आपातकालीन उपयोग के लिए जारी किया है. सूत्रों का कहा है कि अमेरिका के क्लिनिकल डेटा के आधार पर 7 मई को जापानी स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी.
एक अधिकारी ने कहा था कि उन्होंने रेमेडिसविर के लिए क्लिनिकल ट्रायल की छूट भी मांगी है, ताकि रोगियों के लिए दवा तेजी से उपलब्ध हो सके. अधिकारी ने कहा कि उनके आवेदन अभी भी विचाराधीन हैं. हालांकि यह कहा गया है कि भारत में मार्केटिंग को मंजूरी मिलने से पहले सभी दवाओं का परीक्षण किया जाएगा.
दो भारतीय दवा कंपनियां सिप्ला और हेटेरो लैब्स ड्रग रेगुलेटर पर आवेदन करके भारत में रेमेडिसविर के निर्माण और बिक्री की अनुमति ले सकते हैं. गिलियड साइंसेज इंक ने फार्मा कंपनियों के साथ गैर-अनन्य लाइसेंसिंग समझौतों में प्रवेश किया है, जिसमें तीन घरेलू प्रमुख सिप्ला, जुबिलेंट लाइफ साइंसेज और हेटेरो के साथ रीमेसिविर के निर्माण और वितरण करेंगे.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने पहले कहा था कि एंटी-वायरल दवा रेमेडिसविर जिसका इस्तेमाल इबोला के प्रकोप के दौरान किया गया था. सार्स-कोविड-2 प्रतिकृति को बाधित कर सकता है और कोविड 19 के उपचार में इसकी प्रभावकारिता पर शोध डब्लूएचओ की एकजुटता का एक हिस्सा है.
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गंभीर रूप से बीमार कोरोनो वायरस रोगियों में से दो जो ऑक्सीजन पर थे, यह दवा देने पर उनमें सुधार के लक्षण दिखाई दिए.
न्यू ड्रग एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स 2019 के अनुसार दवा के स्थानीय चरण III में क्लिनिकल परीक्षण की छूट के प्रावधान और मार्केटिंग को कुछ देशों में अनुमती दी गई है. जहां कुछ शर्तें, जैसे राष्ट्रीय आपातकाल या महामारी, सार्वजनिक हित में इसका मार्केटिंग किया जा सकता है.