नई दिल्ली : अपने जीवन को जोखिम में डाल कोरोना मरीजों और उनके परिजनों को एम्बुलेंस की सेवा देने वाले चालक आरिफ खान ने रविवार को अपनी आंखें मूंद लीं. आरिफ ने अपनी मौत से पहले सैकड़ों कोरोना रोगियों को अस्पताल पहुंचाया. इसके अलावा उन्होंने अंतिम संस्कार के लिए 200 से अधिक शवों को कब्रिस्तान या श्मसान तक भी पहुंचाया.
आरिफ के निधन पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ट्वीट कर शोक जताया. उन्होंने लिखा, 'दिल्ली के आरिफ खान, एम्बुलेंस चालक के शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी संवेदना. उन्होंने अपने अंतिम संस्कार के लिए COVID-19 रोगियों के 200 शवों को फेरी लगाकर निस्वार्थ सेवा की. यह जानकर दुःख होता है कि आरिफ कोरोना वायरस के शिकार हो गए.'
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का ट्वीट. यही नहीं, आरिफ ने कई परिवारों को आर्थिक मदद भी दी, जिनके पास अंतिम संस्कार के खर्च के लिए पैसे भी नहीं थे. आरिफ ने ऐसी शवों का अंतिम संस्कार भी किया, जिनके परिवार अक्षम थे, या कोरोना वायरस से संक्रमित थे.
ईटीवी भारत संवाददाता ने शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जतिंदर सिंह संटी से इस संबंध में फोन पर बात की. जतिंदर ने कहा कि एक मुस्लिम होने के बावजूद आरिफ ने 100 से अधिक हिंदुओं के शवों का अंतिम संस्कार अपने हाथों से किया. इसके लिए पैसों का भुगतान किया.
उन्होंने बताया कि कि आरिफ की हालत तीन अक्टूबर को बिगड़ गई थी, जब वह एक कोरोना संक्रमित अस्पताल जा रहा थे. कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद, आरिफ को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.