हैदराबाद: कोरोनो वायरस के कारण दुनिया के अधिकांश देश लॉकडाउन मोड पर है. सड़के सूनसान हो चुकी हैं. कोरोना संक्रमण का मामला बढ़ता ही जा रहा है. लाखों लोग मारे जा चुके हैं. दूसरी तरफ लॉकडाउन ने इंसानी दिमाग पर गहरा असर डाला है. इन सबके बीच एक खुशी की खबर यह है कि वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के खिलाफ एक ऐसी एंटीबॉडी को विकसित किया है, जो इंसानी कोशिकाओं को संक्रमित होने से बचाती है.
यह पूरी तरह से मानव निर्मित मोनोक्लोनल (प्रतिरक्षा कोशिका द्वारा अपने जैसी दूसरी कोशिका बनाना क्लोनिंग कर के) एंटीबॉडी है जो एसएआरएस-सीओवी-2 (COVID-19) वायरस को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है . इसे यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी, इरास्मस मेडिकल सेंटर और मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों और हार्बर बायोमेड (HBM) द्वारा खोजा गया है .
पूरी तरह से मानव एंटीबॉडी पारंपरिक चिकित्सीय एंटीबॉडी से भिन्न होती है, जिन्हें अक्सर पहले पहली बार अन्य प्रजातियों में विकसित किया जाता है ताकि उन्हें 'मानवकृत' करके लोगों तक पहुंचाया जा सके.
यह खोज श्वसन रोग कोविड-19 के इलाज या रोकथाम के लिए पूरी तरह से मानव एंटीबॉडी विकसित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.
यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के रिसर्च लीडर, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बेरेंड-जान बॉश ने कहा कि यह शोध उनके समूह ने 2002/2003 में उभरो एसएआरएस-सीओवी को लक्षित करने वाले एंटीबॉडी पर किया था.
उन्होंने कहा कि एसएआरएस-सीओवी एंटीबॉडी के इस संग्रह का उपयोग करते हुए, हमने एक एंटीबॉडी की पहचान की, जो संवर्धित कोशिकाओं में एसएआरएस-सीओवी -2 के संक्रमण को भी बेअसर करती है.इस तरह के एक निष्क्रीय करने वाली एंटीबॉडी में एक संक्रमित होस्ट में संक्रमण को बदलने, वायरस खतम करने में या वायरस के संपर्क में आने वाले एक असंक्रमित व्यक्ति की रक्षा करने की क्षमता होती है.