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जम्मू-कश्मीर : इस गर्मी में सेना के पास आतंकियों के सफाए का अच्छा मौका - लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार गर्मी आ रही है. इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है. ऐसे समय में भी पाकिस्तान कश्मीर में आतंकी घुसपैठ करने की कोशिश में लगा हुआ है. एलओसी पर पिछले तीन माह में पाकिस्तान की तरफ से 1140 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया है. भारत सरकार के पास भी इस बार आतंकियों को प्रदेश से खत्म करने का अच्छा मौका है. कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर भारत सरकार ने प्रदेश की स्थिति को अपने अनुरूप कर लिया है. पुलिस से लेकर सेना तक अब केंद्र सरकार के हाथ में है. इस बार की गर्मी में भारत सरकार कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सकती है. पढ़ें पूरी खबर....

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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Published : Apr 9, 2020, 3:31 PM IST

नई दिल्ली : संकेत स्पष्ट हैं. कश्मीर में सर्दी जा रही है और गर्मी आ रही है. सूर्य की तेज किरणों से बर्फ पिघल रही है और बंद पड़े रास्ते खुल रहे हैं. इससे कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से सीमा नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार करके आने से वाले आतंकियों के लिए मार्ग भी खुल रहे हैं. हर वर्ष की तरह इस बार भी पाकिस्तान भारत में आतंकी घुसपैठ कराने की कोशिश करने लगा हुआ है, तो वहीं अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरकार भी इन आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने पूरा मौका है.

बता दें कि कश्मीर के केरन सेक्टर में पांच अप्रैल 2020 को सेना और आतंकियों बीच में मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड में विशेष बलों (एसएफ) के पांच कमांडो घुसपैठियों को मारकर शहीद हो गए. यह संकेत है कि प्रदेश में गर्मी आ रही है और घुसपैठिए भारत में घुसने की फिराक में हैं.

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह पहली गर्मी होगी, जब पाकिस्तान सरकार और पाक समर्थित आतंकी कश्मीर में विभिन्न कारणों से अशांति लाने की कोशिश करेंगे.

दुनियाभर में कोरोना वायरस फैला हुआ है. इस महामारी से पूरी दुनिया लड़ रह रही है. इस वैश्विक लड़ाई के समय में पाक सरकार द्वारा भारतीय सीमा पर किया जा रहा कार्य निंदनीय है.

कश्मीर की स्थिति पर देश के सबसे अनुभवी सैन्य कमांडरों में से एक लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त) से ईटीवी भारत ने बात की.

लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि 'पाकिस्तान की ओर से आतंकियों को समर्थन जारी है. न ही पाक इस समर्थन को रोकने के लिए किसी के दबाव में है. दुनियाभर में कोरोना वायरस फैला हुआ है. क्या इस समय पाकिस्तानी नेतृत्व कश्मीर के मुद्दों को छोड़ नहीं सकता है?'

लेफ्टिनेंट हुड्डा ने कहा कि, 'जब पूरी दुनिया कोरोना से लड़ रही है. इस समय भी पाकिस्तान की तरफ से संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जा रहा है, जो पिछले दो वर्ष में इस अवधि (जनवरी से मार्च) में होने वाले संघर्ष विराम उल्लंघन की तुलना में बहुत ज्यादा है.'

जनरल हुड्डा ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहली गर्मी है. इसलिए महत्वपूर्ण है, लेकिन मेरा मानना है कि हम एक लंबी लडाई लड़ रहे हैं.

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बता दें कि जनरल हुड्डा 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान उत्तरी कमांड के प्रमुख थे.

भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आंनद के अनुसार पाकिस्तान की तरफ से जनवरी से मार्च 2020 तक भर में 1140 बार संघर्ष विराम का उल्लघंन किया गया है. वहीं 2018 में इस समय (जनवरी से मार्च तक) में 627 बार और 2019 जनवरी से मार्च तक के दौरान 685 बार संघर्ष विराम का उल्लघंन किया गया है.

पाक सेना का संघर्ष विराम उल्लंघन करने का एकमात्र उद्देश्य है कि भारतीय सेना का ध्यान भटकाना है, जिससे कश्मीर में आतंकी घुस सके और देश की शांति व्यवस्था को भंग कर दे.

इस बार भी गर्मी के मौसम में पाकिस्तान भारत में आतंकियों को घुसाने की हर संभव कोशिश करेगा और यह पहले की गर्मियों से बहुत अलग नहीं होगा. क्योंकि पाकिस्तान हमेशा से ऐसा करता आया है, हालांकि कुछ कारक जरूर रहेंगे, जो सरकार को आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करेंगे.

पहला कारण तो यह है कि सरकार के पास वह सब कुछ है, जिस तरह की स्थिति वह कश्मीर में चाहती थी. इसलिए अब उनके पास बहाना बनाने के लिए भी कोई विकल्प नहीं होगा कि वह कार्रवाई न करे.

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने कश्मीर की यथास्थिति में बदलाव किया, जिससे पिछले शासकों से स्थानीय नेतृत्व कर्ताओं को मिलने वाली मदद बंद हो गई है. इसी वजह से वह भारत में कई आतंकी योजना बनाने सक्षम होते थे.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाते हुए राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया.

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अब केंद्र सरकार के पास सामरिक स्तर पर सब कुछ है. इसलिए आतंकियों और उनके बुनियादी ढांचे पर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है.

दूसरी ओर आतंकवादी कश्मीर में सुरक्षा बलों की अपेक्षा कम उपस्थिति को देख रहे होंगे, क्योंकि नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर पूर्वोत्तर में व्यापक हिंसा हुई थी. इस दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्रों में काफी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को भेजा गया था. इसके साथ ही देश की ज्यादातर सेना कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में लगी हुई है.

पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर ईरान, तुर्की, इंडोनेशिया और मलेशिया सहित कई मुस्लिम देशों से समर्थन मिल रहा है. इसलिए वह अतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन पाने के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश करेगा.

(-संजीब कुमार बरुआ, वरिष्ठ संवाददाता)

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