हैदराबाद : कोरोना से अब तक लाखों लोग मारे जा चुके हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि अब जितनी जल्दी हो सके वायरस के खिलाफ एक से अधिक टीकों का अविष्कार होना चाहिए. कोरोना महामारी को रोकने के लिए खोजे जाने वाले टीके के नैदानिक परीक्षण और वितरण के लिए दुनिया के सभी देशों के बीच आपस में सहयोगी दृष्टिकोण का होना आवश्यक है. इन विषयों को समझने वाले वैज्ञानिक, लेखकों ने इस संदर्भ में एक लेख प्रकाशित कर इस बात की जानकारी दी.
बता दें कि एक तरफ अमेरिका चीन की वुहान लैब पर दुनिया को मौत का वायरस देने का आरोप लगा रहा है. वहीं दूसरी तरफ दुनिया के तकरीबन कई देशों की लैब में जिंदगी बचाने के लिए टीका बनाने की होड़ मची हुई है. इटली से पहले ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देश भी कोरोना का टीका बनाने का दावा कर चुके हैं.
कोरोना (COVID-19) महामारी से विश्व की जनता, सरकार सब त्रस्त हैं. दूसरी तरफ सरकार, उद्योग जगत और शिक्षाविदों ने विभिन्न प्रकार के टीका बनाने के प्रयासों में जुटे हुए हैं. लेखकों ने उल्लेख किया कि कोरोना ( SARS-CoV-2, COVID -19) का कारण बनने वाले वायरस से वैश्विक समुदाय को सफलतापूर्वक बचाने के लिए एक से अधिक प्रभावी वैक्सीन दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी. उन्होंने अनुसंधान और विकास के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण का वर्णन किया, जो समानांतर में इससे जुड़े कई टीकों के लिए आवश्यक डेटा उत्पन्न करेगा.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के निदेशक फ्रांसिस एस कोलिन्स, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (एनआईएआईडी) के निदेशक एंथनी एस फौसी, लॉरेंस कोरी, सिएटल में फ्रेड डिचींसन कैंसर रिसर्च सेंटर में वैक्सीन और संक्रामक रोग प्रभाग में प्रोफेसर और जॉन आर मासकोला, जो कि NIAID के वैक्सीन रिसर्च सेंटर के निदेशक लेख के सह-लेखक हैं.
इन सब लेखकों ने वैश्विक समुदाय को कोरोना महामारी से बचाने के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन की खोज पर जोर दिया है. क्योंकि इस महामारी की वजह से अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला जारी है. अब जल्द से जल्द दुनिया को कोरोना से बचने के लिए टीके की ढाल मिलना जरूरी हो गया है.