नई दिल्ली :कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा एक अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई पार्टी नेताओं ने उन पर निशाना साधा है.
इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार असहमति की हर आवाज को देशद्रोह साबित करने के प्रयास में रहती है.
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सोनिया के लेख के संबंध में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के हमले को लेकर कहा कि नड्डा को यह लेख पढ़ना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें अपनी बातों का जवाब मिल जाएगा.
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख में दावा किया है कि भारतीय लोकतंत्र को खोखला किया जा रहा है तथा अभिव्यक्ति की आजादी पर चोट की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि जो सरकार से असहमति दिखाता है, उसे आतंकवाद से जोड़ा जाता है या फिर देश विरोधी करार दिया जाता है.
इस लेख को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने संवाददाताओं से कहा इस लेख में स्पष्ट किया गया है कि मौजूदा सरकार अर्थव्यवस्था के साथ-साथ लोकतंत्र को भी खोखला कर रही है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पिछले छह सालों का पूरा विवरण एक-एक लाइन में लिख दिया हो.
उन्होंने दावा किया जो सरकार की नीतियों का विरोध करता है, वो उसकी नजर में आतंकवाद को बढ़ावा देता है, वो राष्ट्रद्रोह करता है. हर असहमति को देशद्रोह बनाने का प्रयास होता है, जबकि लोकतंत्र का मूल भाव यह है कि जिन्होंने सरकार के पक्ष में वोट दिया हो, उनके भी अधिकार उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने कि जिन लोगों ने सरकार के पक्ष में वोट नहीं दिए.
इस लेख को लेकर नड्डा के हमले पर पलटवार करते हुए वल्लभ ने कहा नड्डा ने शायद लेख नहीं पढ़ा है, उस लेख में ही उनका उत्तर है. जिस तरह असहमति की बात को दबाने का वो अब भी प्रयास कर रहे हैं, उनको ये लेख पढ़ना चाहिए और भारतीय जनता पार्टी के सारे वरिष्ठ नेताओं को भी इसे पढ़ना चाहिए.
सोनिया के लेख की पृष्ठभूमि में नड्डा ने कहा था कि विपक्षी दल और उसके नेता जितना झूठ बोलेंगे और मोदी से नफरत करेंगे, उतना ही और अधिक लोग उनका समर्थन करेंगे.
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नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा निराशा और बेशर्मी का गठजोड़ काफी खतरनाक होता है. कांग्रेस के पास ये दोनों ही हैं. पार्टी में बेटा घृणा, क्रोध, झूठ और आक्रामकता की राजनीति का जीवंत प्रदर्शन करता है, तो वहीं माता दिखावे की शालीनता का प्रदर्शन और लोकतंत्र पर खोखली बयानबाजी कर इसका पूरक बनती हैं.