गुवाहाटीः भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रविवार को गुवाहाटी उच्च न्यायालय पहुंचे. उन्होंने कानून व्यवस्थाओं समेत अदालत में लंबित मामलों की प्रकृत्ति, इसके कारणों और निवारण पर भी बात की. वे एक ऑडिटोरियम के स्थापना कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने रविवार को कुछ लोगों और समूहों के 'आक्रामक तथा लापरवाही भरे बर्ताव' को लेकर चिंता जताई. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि देश का कानूनी संस्थान ऐसे 'स्वेच्छाचारी' तत्वों को परास्त करने में सफल रहेगा. गोगोई ने यह उम्मीद भी जताई कि केंद्र उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र को 62 साल से बढ़ाकर 65 साल करने के उनके प्रस्ताव को स्वीकार करेगा.
गोगोई ने कहा कि भले ही न्यायपालिका को आलोचना का सामना करना पड़ता है, लेकिन विलंब के लिए केवल न्यायपालिका ही पूरी तरह जिम्मेदार नहीं है. उन्होंने कहा कि न्याय प्रदान करने वाली व्यवस्था में कार्यपालिका की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है.
न्यायमूर्ति ने कहा, 'तात्कालिक परिणाम के रूप में, सेवानिवृत्ति की आयु तीन साल के लिए बढ़ जाएगी. इन तीन वर्षों में हम 403 रिक्तियों को अच्छे न्यायाधीशों से भर सकते हैं. यह मेरा सपना है. यह काम मेरे उत्तराधिकारी प्रधान न्यायाधीश द्वारा किया जाना चाहिए और मुझे नहीं लगता कि वह भारतीय न्यायपालिका का चेहरा क्यों नहीं बदल सकते.'
प्रधान न्यायाधीश ने निचली अदालतों के मुद्दे पर कहा कि 6,000 में 4,000 रिक्त पदों को पहले ही भरा जा चुका है तथा 1,500 और रिक्तियों को इस साल के अंत तक भर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, 'जहां तक उच्च न्यायालयों का संबंध है तो देशभर में 1,079 पदों में से 403 खाली हैं. मैंने (उच्च न्यायालयों के) मुख्य न्यायाधीशों से कहा है कि वे अपनी सिफारिशें भेजें...अच्छी सिफारिशें करें.'
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा वक्त में कुछ लोगों और समूहों का 'आक्रामक तथा लापरवाही भरा बर्ताव' देखने को मिल रहा है.' उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि इस तरह की घटनाएं अपवाद होंगी और हमारे संस्थानों की मजबूत परंपराएं तथा लोकाचार इस तरह के स्वेच्छाचारी तत्वों के आक्रामक बर्ताव से उबरने में हमारे हितधारकों की सदैव मदद करेंगे.'
सीजेआई गोगोई ने कहा कि सरकारी कार्यालयों या प्रतिष्ठानों के विपरीत, अदालतें इसलिए अद्वितीय हैं क्योंकि न्याय के पहिये को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिदिन कई हितधारक जुटते हैं, भले ही वे एक भी आदेश से बाध्य नहीं हों.
गोगोई ने कहा, 'इसलिए, अदालत परिसर में काम करने वाले प्रत्येक हितधारक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह सीखे और स्वीकार करे कि संस्थागत परंपराएं और कार्यप्रणाली महानतम उपहार हैं जो हमें न्याय प्रदायगी की प्रक्रिया में विभिन्न क्षमताओं में हमारी संबंधित यात्राओं में विरासत में मिले हैं.'
गोगोई ने समारोह के दौरान गुवाहाटी उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि वे असम में लंबे समय से लंबित इस तरह के मामलों का जल्द निपटारा करें.