हैदराबाद : ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान और चीन के रिश्ते रणनीतिक साझेदारी से आगे उस दिशा में बढ़ रहे हैं, जहां बीजिंग पाकिस्तान को अपने खुद के सैन्य प्रयासों से जोड़ना चाहता है.
चीन और पाकिस्तान की वजह से भारत को बड़ी चुनौती मिल रही है. दूसरी तरफ इन दोनों देशों के निजी स्वार्थ में भारत के साथ सीमा से जुड़े मुद्दे शामिल हैं. चीन अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पड़ोसी देश पाकिस्तान की काफी मदद कर रहा है.
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के साथ चीन, भारत के खिलाफ पाकिस्तान के सैन्य आत्मविश्वास को और भी सशक्त कर रहा है.
वह पाकिस्तान के सैन्य ग्रेड संकेतों को सक्षम करने की दिशा में काम कर रहा है. चीन की इस रणनीति से पाकिस्तान का मनोबल बढ़ रहा है. अगर सैन्य दृष्टिकोण से देखें तो यह दो चीजों को दर्शाता है. एक तो चीन अपने लक्ष्य के प्रति काफी सजग है. दूसरा, चीन पाकिस्तान के सैन्य अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ा रहा है. चीन की मदद से पाकिस्तान अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भी आगे बढ रहा है.
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के नागरिक अनुप्रयोगों के अलावा चीन ने पाकिस्तान को अपने सैन्य ग्रेड संकेतों का उपयोग करने की अनुमति दे रखी है. चीन के लिए बेइडोउ (Beidou) एक बहुत बड़ी परियोजना है. हर कोई चीन में इसका उपयोग करता है, यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है.
Beidou नेविगेशन नेटवर्क की चार अंतरिक्ष परियोजनाओं में एक है, इसके साथ अमेरिका का जीपीएस, यूरोपीय संघ से गैलीलियो और रूस से ग्लोनास शामिल हैं.
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान Beidou को तैनात करने वाला पहला राष्ट्र है. जो घातक बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइल सिस्टम की सटीकता बढ़ाने के लिए अनुप्रयोगों को सक्षम करेगा.
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो नियंत्रण रेखा है, वहां का माहौल हमेशा गर्म रहता है. पाकिस्तान आए दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है. यह जग जाहिर है.