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चीन की अंतरिक्ष तकनीक से पाकिस्तान दे सकता है भारत को बड़ी चुनौती

चीन एक तेजी से बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति है. इसने 2018 में 38 अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. लगभग 100 उपग्रहों को कक्षा में रख चुका है. 2020 में, फिर से चीन 40 से अधिक उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना बना रहा है. दूसरी तरफ चीन की मदद से पाकिस्तान का मनोबल भी बढ़ रहा है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

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Published : May 22, 2020, 6:16 PM IST

हैदराबाद : ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान और चीन के रिश्ते रणनीतिक साझेदारी से आगे उस दिशा में बढ़ रहे हैं, जहां बीजिंग पाकिस्तान को अपने खुद के सैन्य प्रयासों से जोड़ना चाहता है.

चीन और पाकिस्तान की वजह से भारत को बड़ी चुनौती मिल रही है. दूसरी तरफ इन दोनों देशों के निजी स्वार्थ में भारत के साथ सीमा से जुड़े मुद्दे शामिल हैं. चीन अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पड़ोसी देश पाकिस्तान की काफी मदद कर रहा है.

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के साथ चीन, भारत के खिलाफ पाकिस्तान के सैन्य आत्मविश्वास को और भी सशक्त कर रहा है.

वह पाकिस्तान के सैन्य ग्रेड संकेतों को सक्षम करने की दिशा में काम कर रहा है. चीन की इस रणनीति से पाकिस्तान का मनोबल बढ़ रहा है. अगर सैन्य दृष्टिकोण से देखें तो यह दो चीजों को दर्शाता है. एक तो चीन अपने लक्ष्य के प्रति काफी सजग है. दूसरा, चीन पाकिस्तान के सैन्य अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ा रहा है. चीन की मदद से पाकिस्तान अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में भी आगे बढ रहा है.

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के नागरिक अनुप्रयोगों के अलावा चीन ने पाकिस्तान को अपने सैन्य ग्रेड संकेतों का उपयोग करने की अनुमति दे रखी है. चीन के लिए बेइडोउ (Beidou) एक बहुत बड़ी परियोजना है. हर कोई चीन में इसका उपयोग करता है, यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है.

Beidou नेविगेशन नेटवर्क की चार अंतरिक्ष परियोजनाओं में एक है, इसके साथ अमेरिका का जीपीएस, यूरोपीय संघ से गैलीलियो और रूस से ग्लोनास शामिल हैं.

दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान Beidou को तैनात करने वाला पहला राष्ट्र है. जो घातक बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइल सिस्टम की सटीकता बढ़ाने के लिए अनुप्रयोगों को सक्षम करेगा.

बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो नियंत्रण रेखा है, वहां का माहौल हमेशा गर्म रहता है. पाकिस्तान आए दिन संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है. यह जग जाहिर है.

सीमा पर गोलीबारी होना सामान्य बात हो गई है. दूसरी तरफ चीन ने भारत के साथ एक अनसुलझे सीमा मुद्दे को साझा किया है. दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर विवाद जो काफी समय से बना हुआ है.

दूसरी तरफ यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट, चाइना स्पेस एंड काउंटर्सस्पेस कैपेबिलिटीज एंड एक्टिविटीज में चीन की सैन्य अंतरिक्ष रणनीति पर बातचीत की है जो पांच प्रमुख संघर्ष प्रकारों पर केंद्रित है. जिनमें एक को संयुक्त सीमा क्षेत्र संचालन कहा जाता है.

पढ़ें :चीन नहीं चाहता खत्म हो भारत की सीमाओं का विवाद : रक्षा विशेषज्ञ

एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के सैन्य सिद्धांतकारों का अनुमान है कि सीमा युद्ध की स्थिति में भारत तब तक हमला नहीं करेगा, जब तक वह अपने आगे के ठिकानों को मजबूत नहीं कर लेता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपनी अंतरिक्ष ताकतों का प्रयोग करने की मंशा रखता है. पाकिस्तान के पास अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (SUPARCO) नामक एक समर्पित अंतरिक्ष विकास इकाई है, लेकिन यह अपने दम पर अधिक कुछ हासिल नहीं कर सकी है.

2019 में, चीन और पाकिस्तान ने चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) और SUPARCO के बीच क्रू स्पेस मिशन पर एक समझौता करके अपने अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत किया है.

चीन ने कम से कम चार पाकिस्तानी उपग्रहों Badr I (1990), PakSat IR (2011), PRSS 1, PakTes 1A (2018) को लॉन्च किया था.

दूसरी ओर, चीन एक तेजी से बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति है. इसने 2018 में 38 अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. लगभग 100 उपग्रहों को कक्षा में रख चुका है. 2020 में फिर से चीन 40 से अधिक उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना बना रहा है.

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