धनतेरस को अर्थव्यवस्था का त्योहार माना जाता है. कहा जाता है कि धनतेरस के दिन हम जिस भी चीज को खरीदते हैं, माता लक्ष्मी की कृपा से उस चीज में कई गुना वृद्धि हो जाती है. इसलिए पुरातन काल से ही धनतेरस के दिन भारतीयों में सोना, चांदी या बर्तन खरीदने की परंपरा रही है. हालांकि बदलते समय और बढ़ती महंगाई के चलते खरीदारी को लेकर चली आ रही परंपरा में बदलाव नजर आने लगा है. अब लोग सोना, चांदी खरीदने के बजाय अपनी जरूरत अनुसार गाड़ी, मोबाइल, टेलीविजन, कंप्यूटर और फ्रिज जैसे सामान खरीदने लगे हैं.
पुरातन परंपरा
पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक कृष्ण की त्र्योदशी के दिन धन्वन्तरि त्र्योदशी मनायी जाती है, जिसे आम बोलचाल में धनतेरस कहा जाता है. यह मूलत: धन्वन्तरि जयंती का पर्व है और आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि जब धनवंतरि का जन्म हुआ था, उसके हाथ में अमृत कलश था. इसलिए धनतेरस के दिन नये बर्तन या सोना-चांदी खरीदने की परम्परा है. ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन सोना, चांदी या बर्तन खरीदने से जितना खरीदा गया है, उससे 13 गुना ज्यादा धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
पुरातन काल से धनतेरस के दिन लोग विशेष तौर पर चांदी के सिक्के तथा सोने के सिक्के व सोने के आभूषण खरीदते आए हैं. पहले के समय में जो लोग बड़े व भारी आभूषण या चांदी के सिक्के नहीं खरीद पाते थे, वह चांदी या सोने के मनके के मोती खरीद कर इस परंपरा को मनाते थे. आज भी कई लोग इस परंपरा का पालन करते हैं.