नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) द्वारा 'चंद्रयान-2' को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. इसे 15 जुलाई को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, जोकि सात सितंबर को चंद्रमा पर उतारा जाएगा.
वहीं दूसरी ओर ISRO मिशन 'गगनयान' पर भी काम कर रहा है. ये मिशन दिसंबर 2021 तक पूरा होगा. इस मिशन में इसरो पहली बार भारत में बने रॉकेट को स्पेस में भेजेगा. बता दें, इसकी बेसिक ट्रेनिंग भारत में होगी लेकिन अडवांस ट्रेनिंग विदेश में होगी. इस मिशन का बजट 10 हजार करोड़ तक का तय किया गया है.
देश के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम में ISRO ने मील का पत्थर साबित किया है. जिसके तहत ISRO का अंतरिक्षयान, 'चंद्रयान-2' सात जून को चांद पर उतरेगा.
इस संबंध में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. टीवी वेंकटेश्वरन ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. इस दौरान उन्होंने इसरो और वायुसेना के बीच गगनयान के लिए हुए समन्वय के बारे में बातचीत की. साथ ही उन्होंने चंद्रयान-2 की विशेषताएं भी साझा की.
उन्होंने बताया कि जब चंद्रयान -1 भेजा गया तो इसे प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन कहा गया. उसमें हम विज्ञान का अच्छा प्रयोग नहीं कर सकते थे, जबकि इस बार हमारे पास कुछ वैज्ञानिक उद्देश्य हैं. चंद्रयान-2 का एक मुख्य उद्देश्य चांद की सतह पर अच्छी तरह से अपने लैंडर को उतारना है. उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि इस समय यह एक अच्छी लैंडिंग होगी.
बता दें, चंद्रयान -2 में तीन मॉड्यूल होंगे, ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. जिन्हें सतह, खनिजों व रासायनिक संरचना सहित अन्य चीजों की मैपिंग के लिए डिजाइन किया गया है.