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बोडो विद्रोह : 'समावेशी शांति समझौते' पर हस्ताक्षर करेगा केंद्र

बोडो समूह लंबे समय से अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं. केंद्र जल्द ही बोडो विद्रोही समूहों के चार गुटों के साथ एक 'समावेशी शांति समझौते' पर हस्ताक्षर करेगा. पढ़िए पूरी खबर.

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ABSU के अध्यक्ष प्रमोद बोरो

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Published : Jan 24, 2020, 9:27 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 7:14 AM IST

नई दिल्ली: असम में बोडो विद्रोह का स्थायी समाधान लाने की तैयारी हो रही है. इस उद्देश्य से, केंद्र जल्द ही बोडो विद्रोही समूहों के चार गुटों के साथ एक 'समावेशी शांति समझौते' पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस समझौते पर बोडो विद्रोही समूह (नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड) के सभी चार गुटों को एक साथ लेते हुए हस्ताक्षर किए जाएंगे.

सूत्रों ने कहा, NDFB (प्रोग्रेसिव, सोरीगौवारा, बिदाई और रंजन डैमरी गुटों) के साथ बातचीत अंतिम चरण में है.

ABSU अध्यक्ष की ईटीवी भारत से बातचीत

दिलचस्प बात यह है कि एनडीएफबी (नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोरोलैंड) ने हाल ही में सरकार के साथ ऑपरेशन संधि के युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके साथ ही अन्य तीन गुट पहले से ही सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं.

इस संबंध में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के अध्यक्ष प्रमोद बोरो से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि यह सही दिशा में उठाया गया एक कदम है.

सरकार को सभी बोडो विद्रोही गुटों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करके दशकों लंबे बोडो उग्रवाद मुद्दे को समाप्त करने के लिए सभी विकल्पों का पता लगाना चाहिए.

छात्र नेता ने कहा कि बोडो दशकों से अपने राजनीतिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें : बोडोलैंड और विदर्भ को अलग राज्य बनाने को लेकर NFNS कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

'यह 1985 में हमने बोडोलैंड आंदोलन शुरू किया था और साथ ही साथ बोडो विद्रोही समूहों ने एक संप्रभु बोडोलैंड राज्य की मांग शुरू कर दी थी.

हालांकि, जब यह महसूस किया गया कि संप्रभु राज्य संभव नहीं है, तो एक अलग राज्य की मांग थी. मुझे विश्वास है कि आने वाले शांति समझौते में हमारी सभी इच्छाओं पर ध्यान दिया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि असम में पहले से ही भारतीय संविधान के खंड 6 के तहत एक बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (BTAD) है. इस खंड के तहत बोडोस को अपनी भूमि के साथ-साथ क्षेत्रीय परिषद में आरक्षण का अधिकार है.

बता दें बोडो लिबरेशन टाइगर्स (BLT) के साथ शांति समझौते के बाद 2003 में BTC लागू हुई.

प्रमोद बोरो ने कहा, 'हम असम में बोडो के आत्मनिर्णय के लिए भी मांग कर रहे हैं. यदि यह शांति समझौते हमारे उम्मीदों को पूरा करते हैं, तो ठीक है, वरना हम अपना आंदोलन करते रहेंगे.'

यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार ने उत्तर-पूर्व के सभी विद्रोही समूहों को भू-क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए अहम कदम उठाए हैं.

Last Updated : Feb 18, 2020, 7:14 AM IST

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