दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

'सरकार का मेक इन इंडिया-आत्मनिर्भरता की बात करना आडंबर पूर्ण'

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यह काफी पीड़ादायक है कि एक तरफ सरकार 'मेक इन इंडिया' और 'आत्म-निर्भर' होने की बात करती है और दूसरी तरफ वह ऐसी निविदाएं जारी करती है जो छोटी इकाइयों को क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर 'ग्राउंड हैंडलिंग परिचालन' में शामिल होने से रोकती है.

By

Published : Aug 29, 2020, 7:17 AM IST

make in India
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली :दिल्ली उच्च न्यायालय ने विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर 'ग्राउंड हैंडलिंग' सेवाएं प्रदान करने के लिए निविदाओं में हिस्सा लेने के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव की आलोचना की और कहा कि स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा देने को लेकर केंद्र सरकार का रवैया 'आडंबर वाला' है.

उच्च न्यायालय ने राजनीतिक नेतृत्व की आलोचना की और कहा कि यह 'पीड़ादायक' है कि एक तरफ सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और 'आत्म-निर्भर' होने की बात करती है और दूसरी तरफ वह ऐसी निविदाएं जारी करती है जो छोटी इकाइयों को क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ‘ग्राउंड हैंडलिंग परिचालन’ में शामिल होने से रोकती है.

'अपना रहे हैं आडंबरपूर्ण रवैया'
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा कि 'वास्तव में परेशान यह करता है कि यदि आप वास्तव में इन लोगों (छोटी इकाइयों) को बाहर करना चाहते हैं, तो ऐसा कहें. आप अपनी बातों में आडंबरपूर्ण रवैया नहीं अपनायें. आपका राजनीतिक नेतृत्व मेक इन इंडिया की बात करता है, वे आत्म-निर्भर भारत की बात करते हैं, वे स्थानीय उद्योग को प्रोत्साहित करने की बात करते हैं, लेकिन आपके कार्य आपके शब्दों से मेल नहीं खाते. आप पूरी तरह से आडंबरपूर्ण रवैया अपना रहे हैं.'

'मेक इन इंडिया पर क्यों कर रहे हैं बात'
पीठ ने केंद्र और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से कहा कि वह राजनीतिक नेतृत्व से बात करें कि यदि वे इस तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं तो वे ‘मेक इन इंडिया’ पर भाषण क्यों दे रहे हैं.

35 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबार
पीठ ने पूछा कि 'क्या उन्हें (राजनीतिक नेतृत्व को) ऐसा होने की जानकारी भी है.' हम कह रहे हैं कि इस देश या उस देश से आयात बंद कर दो और दूसरी ओर हम अपने ही उद्यमियों की मदद नहीं कर रहे.' उच्च न्यायालय ने 35 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक कारोबार और अनुसूचित एयरलाइनों के साथ काम करने के अनुभव जैसे निविदा पात्रता मानदंडों का उल्लेख करते हुए कहा 'आप चाहते हैं कि बड़ी इकाइयां आयें और शायद चाहते हैं कि विदेशी टाई-अप हों.'

'अनुभव को किया जा रहा नजरअंदाज'
अदालत ने कहा कि 'छोटी इकाइयां क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर काम कर सकती थीं जहां अनुसूचित एयरलाइनों की उड़ानें कम या बिल्कुल नहीं हैं और इसलिए, गैर-अनुसूचित या चार्टर्ड एयरलाइनों के साथ ग्राउंड हैडलिंग के उनके अनुभव को नजरअंदाज किया जा रहा है.'

'छोटी इकाइयों को करना चाहते हैं बाहर'
अदालत ने कहा 'यदि आप (केंद्र और एएआई) उन्हें बाहर करना चाहते हैं, तो ऐसा कहें. इसके बारे में आडंबरपूर्ण रवैया नहीं अपनायें. यदि यह आपकी नीति है, तो ऐसा कहने का साहस रखें.' पीठ ने कहा 'तब भारत में स्वदेशीकरण या ‘मेक इन इंडिया’ की बात न करें. इन सभी चीजों के बारे में बात न करें. 'हमें दुख है कि आप छोटी इकाइयों को बाहर करना चाहते हैं.'

'उत्पादन करना या व्यवसाय करना हुआ मुश्किल'
पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई करते हुए सरकार से कहा 'आज हम इस राष्ट्रवादी भावना की बात कर रहे हैं कि हमें भारत में उत्पादन करना चाहिए, भारत में सेवा करनी चाहिए और हमें आत्म-निर्भर होना चाहिए. इन सब का क्या हो रहा है? देश हमारे अपने उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए ‘उदासीन और असंवेदनशील' हो रहा है और ऐसे कई उदाहरण हैं कि लोगों ने दुकान बंद कर दी और कहा कि यहां उत्पादन करना या व्यवसाय करना मुश्किल है.'

'पात्रता मानदंड में बदलाव को दी गई थी चुनौती'
पीठ ने यह टिप्पणी उस अर्जी पर सुनवाई करते हुए की जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं (जीएचएस) प्रदान करने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) द्वारा जारी नवीनतम निविदाओं में हिस्सा लेने के लिए पात्रता मानदंड में बदलाव को चुनौती दी गई थी.

पढ़ें:कोरोना के बावजूद नीट-जेईई का आयोजन बेहतर विकल्प : पूर्व शिक्षा सचिव

उच्च न्यायालय ने केंद्र, एएआई को जारी किया नोटिस
पीठ ‘सेंटर फॉर एविएशन पॉलिसी, सेफ्टी एंड रिसर्च (सीएपीएसआर) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सीएपीएसआर हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग और विभिन्न अन्य सेवाएं प्रदान करने वाली एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक संघ है. उच्च न्यायालय ने केंद्र और एएआई को नोटिस जारी किया और सीएपीएसआर द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने को कहा. सीएपीएसआर का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता एस एस मिश्रा कर रहे थे.

'याचिका पर आगे के आदेशों पर निर्भर करेगा'
पीठ ने कहा कि 'टेंडर प्रदान किया जाना याचिका पर आगे के आदेशों पर निर्भर करेगा.' सीएपीएसआर ने अपनी अर्जी में देश में छोटे हवाई अड्डों पर जीएचएस के संबंध में एएआई द्वारा आमंत्रित निविदाओं को रद्द करने या एएआई को पात्रता मानदंड में बदलाव करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है ताकि मौजूदा ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों सहित सभी इसमें हिस्सा ले सकें.

ABOUT THE AUTHOR

...view details