नई दिल्ली :देश के 11 राज्यों की 58 विधानसभा सीटों पर संपन्न हुए उपचुनाव के लिए मतगणना शुरू हो गई है. मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के नतीजों पर सबकी नजर है. सिंधिया समर्थक 25 विधायकों के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद कमलनाथ सरकार गिर गई थी. इन सीटों के नतीजे सरकार बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे. इसके अलावा गुजरात की आठ और उत्तर प्रदेश की सात सीटों पर भी नजर रहेगी. इसके साथ ही बिहार की वाल्मीकी नगर लोक सभा सीट के नतीजे भी आएंगे. इस सीट पर जेडीयू सांसद वैद्यनाथ महतो के निधन के बाद उपचुनाव कराया गया था.
भाजपा-कांग्रेस के दावों के बीच मप्र मे कौन जीतेगा
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के मतगणना शुरू हो गई है. मगर दोनों प्रमुख दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के साथ सत्ता की कमान संभालने के दावे कर रही हैं.
राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हुए हैं, इनमें से 25 वह स्थान हैं, जहां के तत्कालीन विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी, वहीं तीन स्थान विधायकों के निधन के कारण खाली हुए थे. दोनों ही दलों ने इन चुनावों को जीतने के लिए पूरा जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
नतीजे से पहले जो एग्जिट पोल आए हैं, उसे दोनों ही दल पूरी तरह स्वीकारने को तैयार नहीं हैं. एग्जिट पोल में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को बढ़त दिखाई गई है. कांग्रेस की तरफ से यही कहा जा रहा है कि एग्जिट पोल से उलट जीत उसी के खाते में आने वाली है. दूसरी ओर भाजपा का दावा है कि एग्जिट पोल में जितनी सीटें भाजपा को दिखाई जा रही हैं, उससे कहीं ज्यादा सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीतेंगे.
मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम प्रदेश में किसी भी दल की सरकार बनाने में अहम साबित होंगे. प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में राज्य के 12 मंत्रियों सहित कुल 355 उम्मीदवार मैदान में हैं.
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के 107, कांग्रेस के 87, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं.
भविष्य की सियासत के संकेत देंगे उप्र उपचुनाव के नतीजे
उत्तर प्रदेश में इन दिनों हुई सियासी उठापटक के बीच सात सीटों पर उपचुनाव हुए. इन सीटों के परिणाम से ये संकेत भी सामने आएंगे कि प्रदेश के भविष्य की सियासत और सियासी पार्टियों के रिश्तों तथा उनके संभावित समीकरणों की दिशा व दशा क्या होगी. वर्तमान परिस्थितियों तथा समीकरणों ने उपचुनाव के नतीजों को अहम बना दिया है.
2022 में मुख्य चुनाव होने हैं, ऐसे में इस उपचुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. यदि सत्तारूढ़ दल को सफलता मिलेगी तो उसे अपने कामकाज पर भरोसा होगा. वहीं अगर विपक्ष को सफलता मिलेगी तो कार्यकतार्ओं का मनोबल बढ़ेगा. आगे आने वाले समय में यह चुनाव नतीजे सियासी सफर की तस्वीर को साफ करेंगे.
उपचुनाव में औसतन 53 फीसदी मतदाताओं ने 88 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया था. जिन सीटों पर उपचुनाव हुआ था उनमें नौगांव सादात, टूंडला, बांगरमउ, बुलंदशहर, देवरिया, घाटमपुर और मल्हनी विधानसभा सीटें शामिल है.
गुजरात में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद चुनाव
गुजरात में आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान कराया गया. प्रदेश की जिन आठ सीटों पर उप चुनाव कराए जा रहे हैं उनमें अब्डासा (कच्छ), लिम्बडी (सुरेंद्र नगर), मोरबी (मोरबी), धारी (अमरेली), गढ़दा (बोटाड), करजन (वडोदरा), डांग (डांग) और कपराडा (वलसाड) शामिल है. इन सीटों पर उप चुनाव कराने की आवश्यकता इसलिये हुई, क्योंकि इस साल जून में राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के मौजूदा विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. इनमें से पांच बाद में भाजपा में शामिल हो गये थे और वे फिर चुनाव लड़ रहे है.
इन राज्यों में भी घोषित होंगे परिणाम
मध्य प्रदेश, यूपी और गुजरात के अलावा कर्नाटक में दो विधानसभा सीटों- बेंगलुरु शहरी जिला स्थित राजराजेश्वरी नगर और तुमकुरु जिला स्थित सिरा पर मतदान हुए था. वहीं, तेलंगाना की दुब्बाक विधानसभा सीट पर वोटिंग हुई. इसके अलावा मणिपुर की चार, झारखंड, नगालैंड, ओडिशा की दो-दो विधानसभा सीटों और छत्तीसगढ़, हरियाणा की एक-एक सीट पर उपचुनाव हुए हैं. इन सभी सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम भी आज आएंगे.