नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में अपराध के बढ़ते मामले और किसानों की समस्या को केंद्र में रखते हुए एक बार फिर प्रदेश के विभाजन की मांग जोर पकड़ने लगी है. संसद के मॉनसून सत्र में बहुजन समाज पार्टी के सांसद मलुक नागर ने इस मुद्दे को उठाया तो अब कई सामाजिक और किसान संगठन मिलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग पर काम करने की तैयारी कर रहे हैं.
चार हिस्सों में बांटा जाए
ईटीवी भारत ने को बसपा सांसद मलुक नागर ने बताया कि 1954 में बाबा साहब अंबेडकर ने यह बात उठाई थी कि उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटना चाहिए. उसके बाद प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार के पास भेजा था कि उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटा जाए, जिससे तरक्की हो सके. आज हाईकोर्ट जाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लोगों को इलाहाबाद और लखनऊ जाना पड़ता है. इससे लोगों को दिक्कतें होती हैं. मलुक नागर ने बताया कि यह मुद्दा उन्होंने संसद में भी उठाया है और आज इसकी बहुत जरूरत है. आज यह भारत सरकार के पास लंबित है. अब केंद्र सरकार को यह निर्णय करना है कि वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता की सुविधा के लिए और प्रदेश हित में इसे पूरा करती है या नहीं.
बसपा का पूरा समर्थन रहेगा
मलुक नागर ने कहा कि आंदोलन के लिए हमारी पार्टी और अन्य संगठन तैयार हैं. बसपा का पूरा समर्थन इस मुद्दे पर रहेगा. संसद के मॉनसून सत्र में भी इसीलिए इस मुद्दे को उठाया था. बसपा के अलावा क्या सूबे की अन्य राजनीतिक पार्टियां इसके समर्थन में खड़ी होंगी? इस सवाल पर सांसद मलुक नगर ने कहा कि जब भी कोई चुनाव आता है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश का हरेक प्रत्याशी जनता से यह वादे करता है कि वो हाई कोर्ट को इस क्षेत्र में ले कर आएंगे. अलग राज्य के मुद्दे को आगे बढ़ाएंगे लेकिन सांसद-विधायक बनते ही लोग इस मुद्दे को भूल जाते हैं.
किसान संगठन भी इसके समर्थन में
स्पष्ट है कि 2022 के चुनाव से पहले राज्य बंटवारे का मुद्दा बड़े स्तर पर उठ सकता है. बसपा सांसद इसे राज्य और लोगों के हित में मानते हैं. दूसरी तरफ किसान संगठन भी इसके समर्थन में है और किसानों को गोलबंद करने की तैयारी कर रहे हैं. मलुक नगर कहते हैं कि जब से देश आजाद हुआ, तब से ले कर आज तक किसी भी सांसद ने किसानों के संगठनात्मक ढांचे की बात नहीं उठाई. मैंने किसान संगठनों की बात संसद में उठाई है और यदि वास्तव में केंद्र सरकार और प्रदेश की सरकार को देशहित में कार्य करना है तो किसानों के समूह और संगठनों के साथ तालमेल बनाकर ही काम करना चाहिए. चाहे वह फसल के कीमत की बात हो या क्षेत्र के विकास की या उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात.