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99 प्रतिशत घुसपैठिए ममता के वोटर, इसलिए NRC का विरोध : भाजपा

एनआरसी का विरोध सभी पार्टियां मुखर होकर कर रही हैं. हालांकि केंद्र सरकार चरणबद्ध तरीके से इसे लागू करने के रास्ते पर आगे बढ़ चुकी है. आशा है, सोमवार को सरकार संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) पेश कर सकती है. पश्चिम बंगाल में तृंणमूल कांग्रेस और पूर्वोतर की पार्टियां इस पर जोरदार विरोध कर रही हैं. इस पर भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा है कि ममता बनर्जी जैसी नेता बांग्लादेशियों के वोट पर लगातार जीतती आई हैं. यही वजह है कि वह एनआरसी का विरोध कर रही हैं. एनआरसी देश के हक में है. बांग्लादेशी जिस संसाधन का उपयोग कर रहे है, वे अब अपने देश के लोग इस्तेमाल करेंगे. जानें विस्तार से...

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भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा

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Published : Dec 7, 2019, 10:30 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)ने 9, 10 और 11 दिसंबर के लिए अपने सांसदों को ह्विप जारी है. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इस दौरान केंद्र सरकार संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) पेश कर सकती है.

हालांकि इस विधेयक के विरोध में जिस तरह विपक्षी पार्टियां लामबंद हो रही है, उसे देखते हुए केंद्र सरकार और भाजपा को यह विधेयक दोनों सदनों से पास कराना टेढ़ी खीर साबित होगी.

एनआरसी पर भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री राहुल सिन्हा ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

गौरतलब है कि इस कारण कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के शीर्ष अधिकारियों को अंदर खाने अपने सहयोगियों और कुछ विरोधी पार्टियों से भी बात करने में लगाया गया है.

इस पूरे मसले पर भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

राहुल सिन्हा ने कहा कि जो एनआरसी का विरोध कर रहे हैं, वे अपने वोट बैंक के लिए ऐसा कर रहे हैं. यह बिल्कुल स्पष्ट है कि जो बांग्लादेश से पीड़ित जनता शरणार्थी बनकर भारत आई है, उसके लिए नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) है और जो लोग कोई मकसद लेकर भारत आए हैं, वह घुसपैठ है. एनआरसी घुसपैठियों के लिए है.'

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एनआरसी का ममता बनर्जी और विपक्षी पार्टियों की ओर से जारी विरोध के सवाल पर सिन्हा ने कहा कि इसका कारण उनका वोट बैंक है. 99 प्रतिशत घुसपैठिए इन्हें वोट करते हैं. सभी घुसपैठियों को ये ही लोग तो लाए हैं.

विधेयक को साम्प्रदायिक बताने पर सिन्हा ने कहा, 'शरणार्थी इधर धर्म के कारण ही तो आए हैं. वह अल्लाह ना बोलकर किसी और भगवान, यीशु या अन्य का नाम लेते हैं. इसलिए उधर से खाली करना पड़ा.'

बकौल सिन्हा, 'शरणार्थी जो हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन हैं, जो वहां उन देशों में नहीं रह पाए. उन्हें जी भरकर सताया गया, अत्याचार किया गया, वे ही भारत में शरण लेने की मांग कर रहे हैं और उन्हें नागरिकता देना कोई गलत नहीं है.'

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