नई दिल्ली : शिरोमणि अकाली दल के अपने सबसे पुराने सहयोगी भाजपा के साथ नाता तोड़ने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनका कहना है कि एक तरफ किसानों के गुस्से का डर और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री की दुश्मनी से डरते हुए अकालियों ने काफी संतुलन बनाने की कोशिश की.
उन्होंने आगे कहा कि अकालियों ने भारतीय जनता पार्टी से अपना नाता नहीं तोड़ना चाहा. वे गठबंधन के इस ढोंग को बनाए रखना चाहते थे. स्पष्ट है कि भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर नहीं निकलने पर भी उन्हें केंद्रीय कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया गया. बाद में श्रीमती बादल ने जोर देकर कहा था कि वह इन कानूनों को किसान विरोधी नहीं कह रही हैं, सिर्फ किसान ही इसे किसान विरोधी करार दे रहे हैं.
राज्य कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि अकालियों को भाजपा से फिर से संपर्क के कुछ संकेत मिलने का बेसब्री से इंतजार था. उन्होंने कहा कि पीएम की बात करें तो भगवा पार्टी में कोई भी वरिष्ठ नेता उनसे मिलने को तैयार नहीं था और नियुक्ति मांगने के उनके आह्वान को अनसुना कर दिया गया.