नई दिल्ली : भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने उच्चतम न्यायालय के खिलाफ 16 फरवरी को दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर संसद भवन तक मार्च करेंगे. दरअसल चंद्रशेखर आजाद उस फैसले के खिलाफ में मार्च करेंगे, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने'पदोन्नति में आरक्षण' को मौलिक अधिकार नहीं माना है.
बता दें कि पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण पर कहा था कि आरक्षण न तो मौलिक अधिकार है, न ही राज्य सरकारें इसे लागू करने के लिए बाध्य है.
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद मीडिया से वार्ता करते हुए इस मसले पर आजाद ने कहा कि यदि सरकार इस फैसल के खिलाफ कोई अध्यादेश नहीं लाती है, तो वह 23 फरवरी को देशव्यापी आंदोलन करेंगे. भीम आर्मी के प्रमुख ने कहा कि हम अनुसूचित जाति और जनजाति के सांसदों से भी यह अपील करते हैं कि वह संसद में इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें, ताकि यह फैसला वापस हो. उन्होंने कहा कि यदि वह ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो अपने पद त्याग दें.
ईटीवी भारत से भीम आर्मी प्रमुख ने बातचीत की नागरिकता संशोधन कानून पर आजाद ने कहा कि सरकार अभी तक यह कहती थी कि वह दलितों और पिछड़ों का ध्यान रखती है इसलिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समाज के लोगों को नागरिकता देगी, लेकिन उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद तो देश के ही दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को नौकरी में परेशानी होगी.
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पिछड़े वर्ग के लोगों को अभी तक सरकारी नौकरियों में कितना आरक्षण मिला है? इस पर आंकड़े पेश करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि क्लास- 1 में एस-एसटी वर्ग के लोगों का आरक्षण 23% है, लेकिन अभी तक यह सिर्फ 5.50% ही पूरा हुआ है, वहीं अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को सिर्फ 1% ही आरक्षण मिल पाया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले एसी-एसटी एक्ट और संत रविदास मंदिर पर अपने फैसले बदले हैं. हम चाहते हैं कि उच्च न्यायालय इस पर भी पुनर्विचार करें और संविधान के अनुसार शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण की प्रणाली तैयार करे.