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कई 'जनहितैषी माननीय' बाहुबली भी हैं उम्मीदवार, देखें खास रिपोर्ट

बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है. हर पार्टी अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर रही है. इस बार चुनाव में 12 ऐसे बाहुबली नेता है, जो अपनी सीट पर कब्जा कायम रहने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे. आइए जानते है बिहार के चुनाव में उतरे 12 ऐसे ही बाहुबली नेताओं के बारे में...

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Published : Oct 16, 2020, 6:00 AM IST

Updated : Oct 16, 2020, 10:31 AM IST

पटना : बिहार चुनाव में बाहुबली नेताओं का खासा असर रहा है. सत्ता की चाबी इन्ही बाहुबलियों के पास लंबे समय से रही है. इस बार भी बिहार चुनाव में ऐसे नेता चुनाव मैदान में हैं. अगर किसी पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय ही मैदान में हैं.

बिहार महासमर 2020 में 12 ऐसे बाहुबली नेता हैं जो, अपने इलाके की सीट पर अपना दबदबा बरकरार रखना चाह रहे हैं. यह खुद ही महासमर में हैं या फिर अपनी पत्नियों को चुनावी मैदान में उतारे हुए हैं.

2020 में अपनी ज्यादा सीट पाने की लालसा में आरजेडी ने बाहुबली नेताओं पर ज्यादा दांव खेला है. जबकि सुशासन वाली पार्टी भी इस सोच से अलग खड़ी नहीं दिख रही है.

अनंत सिंह (आरजेडी उम्मीदवार)

अपने बेबाक बयान और विवादित छवि के लिए चर्चित बाहुबली अनंत सिंह इस बार राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. अनंत सिंह ने इस बार पार्टी के सिंबल पर नामांकन किया है. एक वक्त था जब लालू यादव अनंत सिंह के धुर विरोधी थे. उन्होंने नीतीश कुमार पर दबाव बनाकर गिरफ्तार करवाया था, खुद लालू ने एक रैली के दौरान ये बातें मंच से कहीं थी.

⦁ 'छोटे सरकार' के रूप में चर्चित अनंत सिंह

⦁ 38 केस में आरोपी अनंत सिंह

⦁ बाढ़, श्रीकृष्णापुरी थाने में सबसे अधिक केस है.

⦁ पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अनंत के अपराध का सिलसिला 1976 में शुरू हुआ.

⦁ चोरी से संबंधित मामले में उनका नाम पहली बार सामने आया था.

⦁ घर से एके-47 बरामद होने के मामले में फिलहाल जेल में बंद हैं

⦁ मोकामा से पांचवीं बार चुनाव मैदान में हैं.

आनंद मोहन

डीएम कृष्णैया हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बाहुबली आनंद मोहन बिहार की राजनीति में सर्वाधिक चर्चित नाम हैं. कभी राजनीति में आज के कई बड़े नेताओं के सरपरस्त रहे आनंद मोहन की चर्चा अब भी होती रहती है.

बिहार की राजनीति में आनंद मोहन एक ऐसा नाम था, जिनकी राजनीति लालू यादव को उनकी ही भाषा में टक्कर देने का काम करती थी. एक दौर ऐसा था जब आनंद मोहन का जलवा इतना जबरदस्त था कि उनके क्षेत्र में लालू यादव भी जाने से डरते थे.

आनंद मोहन, जो कभी राजनीति में कई बड़े नेताओं के संरक्षक थे, आज भी चर्चा में हैं. पहले उनकी पत्नी के जेडीयू में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अंत में उन्होंने आरजेडी का दामन थामा है.

⦁ बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव से आते हैं.

⦁ साल 1978 में तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई भाषण दे रहे थे तो उन्हें आनंद मोहन ने काले झंडे दिखाए थे.

⦁ 1980 में उन्होंने समाजवादी क्रांति सेना की स्थापना की.

⦁ 1990 में जनता दल के टिकट पर महिषी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते.

⦁ 1993 में अपनी खुद की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी बना ली.

⦁ 1996 के आम चुनावों में शिवहर लोकसभा सीट से खड़े हुए और जीते.

⦁ 1998 के लोकसभा चुनावों में भी शिवहर सीट से आरजेडी के टिकट पर चुनाव जीते.

⦁ डीएम कृष्णैया हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे है.

पप्पू यादव (जाप सुप्रीमो)

बिहार के बाहुबली नेता पप्पू यादव 1990 से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं. राजनीति में उनकी मौजूदगी बिहार में अपराध और राजनीति के गठजोड़ को दर्शाती है. हालांकि, वह कभी भी अपने आप को 'बैडमैन' नहीं मानते. खुद को विद्रोही और गरीबों-दलितों का मसीहा कहते हैं. उन्हें बिहार के 'रॉबिन हुड' के नाम से भी जाना जाता है.

राजनीति में प्रवेश करने से बहुत पहले पप्पू यादव ने कॉलेज के दिनों में एक 'अपराधी' व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाई. 53 वर्षीय पप्पू के खिलाफ 30 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं.

कोसी क्षेत्र में 90 के दशक की शुरुआत में जमकर खून खराबा हुआ था, जिसमें खूंखार अपराधी से राजनेता बने पप्पू यादव और आनंद मोहन (राजपूत नेता जो अभी जेल में हैं) के बीच जातीय वर्चस्व की लड़ाई में सैकड़ों लोग मारे गए थे. दोनों में भयंकर टकराव हुआ था और दोनों एक-दूसरे का चेहरा भी नहीं देखना चाहते थे.

⦁ हत्या-अपहरण जैस संगीन 31 केस में आरोपी.

⦁ 1990 में मधेपुरा के सिंहेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव जीते.

⦁ 1991 मे पूर्णिया लोकसभा सीट से बतौर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे और जीते.

⦁ 1996 लोकसभा चुनाव में भी पूर्णिया से फिर रिकॉर्ड तीन लाख से अधिक वोटों से जीते.

⦁ 1998 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव पहली बार पूर्णिया से चुनाव हारे.

⦁ 1998, माकपा नेता अजीत सरकार हत्याकांड में आरोपी.

⦁ 24 मई 1999, अजीत सरकार हत्याकांड में गिरफ्तार हुए.

⦁ 2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने हत्या के आरोपों में दोषी ठहराया था.

⦁ उपचुनाव में पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे.

⦁ साल 2013, 12 वर्षों तक जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट से मिली जमानत.

⦁ 2019 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव मधेपुरा से चुनाव हारे.

रीतलाल यादव (आरजेडी उम्मीदवार, दानापुर)

रीतलाल यादव दानापुर से RJD के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. रीतलाल पर जिसके पति की हत्या का आरोप है उनकी पत्नी उनके सामने चुनावी मैदान में हैं.

रीतलाल एक बाहुबली नेता हैं. इसका लंबा आपराधिक इतिहास रहा है. रीतलाल यादव को हाल ही में जेल से रिहा किया गया है. RJD के बाहुबली नेता पर जमीन कब्जा, हत्या, अपहरण और उत्पीड़न समेत दर्जनों मामले दर्ज हैं. अंडरवर्ल्ड में रीतलाल यादव को मुखिया के नाम से भी लोग जानते हैं.

2014 के चुनाव में बेटी मीसा भारती के लिए लालू ने रीतलाल यादव से मदद मांगी थी. हालाकि इसके बाद भी मीसा भारती 2014 में पाटलिपुत्र लोकसभा का चुनाव हार गईं.

⦁ बाहुबली रीतलाल के खिलाफ 33 आपराधिक मामले दर्ज.

⦁ रीतलाल आशा देवी के पति सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के मुख्य आरोपी हैं.

⦁ 2002 में दानापुर सीट पर बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव लड़े और हार गए.

⦁ 2010 में भी आशा देवी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए.

⦁ जेल में रहते वो 2015 में एमएलसी के रूप में चुने गए.

⦁ 18 अगस्त 2020 को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल से रिहा हुए.

सुरेन्द्र यादव (आरजेडी उम्मीदवार, बेलांगज)

सुरेन्द्र यादव बिहार के ऐसे डॉन हैं जिन्हें मगध सम्राट के नाम से जाना जाता है. माओवाद प्रभावित इलाके गया और औरंगाबाद में सुरेन्द्र यादव एक प्रभावी नाम है. इन्हें गया के बेलागंज से RJD का टिकट दिया गया है.

बेलागंज विधानसभा से विधायक और लोकसभा सांसद रहे सुरेंद्र प्रसाद यादव लालू और तेजस्वी यादव के काफी करीबी माने जाते हैं. सुरेन्द्र यादव पर तीन दर्जन से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं.

सुरेन्द्र यादव को तब लालू के लोक दल से 1985 में जहानाबाद से चुनाव लड़ा था. तब सुरेन्द्र यादव 26 साल के थे. हालाकि वो जहानाबाद लोकसभा सीट से हार गए थे

सुनील पांडेय (निर्दलीय, तरारी)

सुनील पांडेय लोक जनशक्ति पार्टी से विधायक रहे हैं. इस बार भोजपुर जिले के तरारी विधानसभा से निर्दलीय ही मैदान में हैं. सुनील पांडेय पर भी कई गंभीर आरोप हैं. मुंगेर में एक-47 मामले में सुनील पांडेय का नाम है दर्ज है.

सुनील पांडेय जबलपुर की ऑर्डिनेंस कंपनी में कर्मचारी था. बताया जा रहा था कि वो वहां से फरार हो गया. साल 2018 में मुंगेर-AK-47 केस में सुनील पांडेय का भी नाम जांच में आने लगा था.

⦁ 5 मई 1966 को जन्मे सुनील पांडेय की आधी जिंदगी जेल में और आधी फरारी में बीती है.

⦁ बेंगलुरु में पढ़ाई के दौरान मामूली विवाद में एक लड़के को चाकू मारा.

⦁ हत्या, मर्डर, बम ब्लास्ट, अपहरण और खौफनाक साजिशों के आरोपी रहे हैं सुनील पांडेय

⦁ आरा सिविल कोर्ट ब्लास्ट में भी सुनील पांडेय का नाम आया था सामने

⦁ गिरफ्तार आरोपी ने लगाया था आरोपी सुनील पांडेय ने दी थी मुख्तार अंसारी की सुपारी

⦁ 17 मई 2003 को मशहूर न्यूरो सर्जन डॉ रमेश चंद्रा का अपहरण, सुनील पांडे आरोपी.

⦁ 2012 में रणवीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या का आरोप लगा था.

⦁ एनआईए ने कथित तौर पर एके-47 रखने के आरोप में जांच.

⦁ 2000 विधानसभा चुनाव में रोहतास के पीरो से चुनाव लड़े और जीत गए.

⦁ सुनील पांडेय चार बार विधायक रह चुके हैं.

रामा किशोर सिंह (नेता आरजेडी)

90 के दशक से अपहरण, धमकी, जबरन वसूली जैसे अपराधों के आरोपी रामा किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह बिहार की राजनीति में एक जाना माना चेहरा हैं. हाजीपुर से सटे वैशाली के महनार इलाके में दबंग छवि के नेता रामा सिंह का हाल ही में (राष्ट्रीय जनता दल) राजद में आने को लेकर विवाद हुआ था. 2014 के लोकसभा चुनाव में रामा सिंह ने रघुवंश प्रसाद को लगभग 1 लाख वोट से हराया था.

दिवंगत आरजेडी नेता रघुवंश बाबू ने रामा सिंह की वापसी पर विरोध जताया था. हालाकि आरजेडी ने इस बार उनकी पत्नी वीणा देवी को मनहर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया.

अमरेन्द्र पांडेय (जेडीयू, कुचायकोट सीट)

अमरेन्द्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय गोपालगंज से जेडीयू के वर्तमान विधायक हैं. इस बार फिर उन्हें नीतीश ने पार्टी का टिकट देकर कुचायकोट विधानसभा सीट के लिए मैदान में उतारा है.

अमरेन्द्र पांडेय की छवि भी बाहुबली नेता की रही है. अमरेन्द्र पर लगे आपराधिक आरोपों की जिक्र की जाए तो उनपर हत्या, रंगदारी, वसूली, जैसे कई मामले हैं. इनपर स्थानीय RJD नेता के भाई और माता-पिता की हत्या का आरोप है. 2012 में शराब व्यवसायी अनिल साह की हत्या का मामला भी शामिल है. हालांकि, अपने इलाके में अमरेन्द्र पांडेय की छवि रॉबिन हुड की रही है, गरीबों की मदद के लिए वो हमेशा आगे रहे हैं.

राजभल्लभ यादव (नेता, आरजेडी)

आरजेडी नेता राजबल्लभ यादव भी बिहार में बहुत चर्चित रहे हैं. उन्हें नाबालिग से बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. उसके साथ पांच अन्य आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया था. राजभल्लभ यादव बिहार के पहले ऐसे विधायक हैं जिन्हें पद पर रहते हुए दोषी करार दिया गया था.

आरजेडी ने इस बार राजभल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी को नवादा से टिकट दिया है. राजभल्लभ यादव पर अवैध माइनिंग, उत्पीड़न और अगवा के केस भी दर्ज हैं.

अजय सिंह, निर्दलीय, दरौंदा (सीवान)

सीवान के दरौंदा विधानसभा से बाहुबली अजय सिंह इस बार चुनाव लड़ने वाले हैं. अजय सिंह इससे पहले जदयू के टिकट पर उपचुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने अपनी पत्नी के लिए जदयू से टिकट मांगा था. जेडीयू ने आपराधिक छवि के कारण टिकट नहीं दिया. इसलिए वह खुद एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.

अरुण यादव (आरजेडी, भोजपुर)

नाबालिग से रेप के आरोपों को लेकर चर्चा में आए राजद विधायक अरुण यादव की पत्नी किरण देवी की इस बार राजद के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी. अरुण यादव भोजपुर जिले से विधायक रहे हैं. रेप मामले आरोपों के कारण उन पर कुर्की के आदेश तक जारी हो गए थे.

Last Updated : Oct 16, 2020, 10:31 AM IST

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