दिसपुर : राष्ट्रव्यापी बंद से प्रभावित असम में ट्रांसजेंडर समुदाय अब अपने जीवन के अस्तित्व के लिए जूझ रहा है. देश के अधिकांश लोगों की तरह ट्रांसजेंडर्स भी कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन से पीड़ित हैं. हालांकि इसके अलावा जिस बात ट्रांसजेंडर्स बुरी तरह प्रभावित है, वह है उनके साथ जुड़ा कलंक, जिससे उन्हें समाज की तरफ स्वीकार नहीं किया जाता है.
असम के गुवाहाटी में रहने वाला ट्रांसजेंडर नूर ने कहा, 'लॉक डाउन ने हमारे जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. हम इस लॉकडाउन के कारण अपने काम के लिए बाहर नहीं जा पाए हैं. चूंकि लंबे समय से कोई आय नहीं है, अब हम अपने भोजन और अस्तित्व के लाले पड़ गए हैं.
असम में विभिन्न ट्रांसजेंडर संगठनों में करीब 11,000 ट्रांसजेंडर पंजीकृत हैं और वे आमतौर पर बसों, ट्रेनों और अन्य बाजार स्थानों पर ताली बजाकर अपना जीवनयापन करते हैं.
हालांकि भारतीय संसद ने पिछले साल 'द ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल, 2019' पारित किया गया है. समुदाय के सदस्यों की समस्याएं खत्म होनी अभी भी दूर हैं. उनका अभी भी सार्वजनिक रूप से मजाक बनाया जाता है और अलग तरह से व्यवहार किया जाता है.