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सुलग रहा पूर्वोत्तर, दिल्ली व अन्य राज्यों में भी फूट रही गुस्से की चिंगारी

नागरिकता संशोधन बिल पारित होने पर पूर्वोत्तर में लोग भारी विरोध कर रहे हैं. यहां बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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पूर्वोत्तर भारत में हो रहा भारी विरोध

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Published : Dec 10, 2019, 8:27 AM IST

Updated : Dec 10, 2019, 8:39 PM IST

नई दिल्ली : लोकसभा से नागरिकता संशोधन बिल पारित कर दिया गया है. इसे लेकर असम सहित पूरे पूर्वोत्तर भारत के लोगों में भारी विरोध है. जनता बागी होकर सड़कों पर आकर विरोध प्रदर्शन कर रही है. इससे वहां के हालात बद से बदतर होते नजर आ रहे हैं. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया.

सीपीआई नेता कन्हैया कुमार ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जो कानून लोकसभा में पास करवाई है इससे देश को दो भागों में बांटने का काम कर रही है.

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इस बिल को जलाने का उद्देश्य है कि भाजपा हिंदू मुसलमान के नाम पर देश को बांटने का काम कर रही है जहां पूरा देश गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहा है वहीं सावरकर के मानने वाले लोग आज जिन्ना के सपनों को पूरा करने में लगे हुए हैं.

कन्हैया कुमार ने बिहार की जनता से अपील किया कि बिल का पुरजोर विरोध करें.

दिल्ली में भी प्रदर्शन

दूसरी तरफ वहीं आइसा ने दिल्ली के जंतर मंतर पर सिटिजन अमेंडमेंट बिल के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में विभिन्न लेफ्ट छात्र संगठनों के कार्यकर्ता और पूर्वोत्तर भारत के छात्र आदि शामिल हुए. वहीं इन प्रदर्शनकारी छात्रों ने सिटिजन अमेंडमेंट बिल की कॉपी भी जलाई.

वहीं विरोध प्रदर्शन कर रही सीपीआई एमएल की कार्यकर्ता सुचेता डे ने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार भारत के लोगों को धर्म के आधार पर बांटने का काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि लेकिन हम लोग केंद्र सरकार को उसके मंसूबे में कामयाब नहीं होने देंगे. इसके अलावा उन्होंने इस बिल को पूरी तरह से गैर संवैधानिक करार दिया. सुचिता ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने लोकसभा में सिटिजन

अमेंडमेंट बिल को लेकर अपना तर्क दिया है वह उनकी राजनीति को दिखा रहा है. वह देश में हमेशा के लिए बंटवारे के दर्द को लागू करना चाहते हैं. सुचेता ने कहा कि भारत धर्म के आधार पर देश नहीं बना था. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि भारत में नागरिकता धर्म के आधार पर मिलेगी.

वहीं एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि भारत सरकार बिल को वापस लेना ही होगा. उन्होंने कहा कि यह बिल भारत के संविधान के खिलाफ है. साथ ही कहा कि आसाम में भारत सरकार के साथ जो समझौता हुआ था. यह बिल उसके खिलाफ है. साथ ही कहा कि जब तक यह बिल वापस नहीं ले लिया जाता है इसके खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ लोगों का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. कई छात्र संगठन अपना विरोध व्यक्त कर रहे हैं.

नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) को लेकर असम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के कई इलाकों में प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है. इधर आंदोलनकारियों ने सीएबी के विरोध में त्रिपुरा के एक बाजार में आग लगाई है.

लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित किए जाने के विरोध में एनईएसओ द्वारा आहुत बंद में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को त्रिपुरा के धलाई जिले के एक बाजार में आग लगा दी. इस बाजार में ज्यादातर दुकानों के मालिक गैर-आदिवासी हैं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ है और मनुघाट बाजार में लगी आग बुझा दी गई है.

अधिकारी ने बताया, 'बाजार में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं, लेकिन इस घटना से गैर-आदिवासी लोगों के मन में भय है, जो ज्यादातर दुकानों के मालिक हैं.'

उन्होंने बताया कि बंद को त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में भारी

आपको बता दें, असम में कई छात्र संगठनों सहित आम जनता भी आधी रात तक सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करती रही. वहीं उत्तर पूर्व छात्र संगठन (NESO) ने पूर्वोत्तर में 12 घंटों के बंद का आह्वान कर दिया है. नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ छात्र संगठनों की तरफ से संयुक्त रूप से बुलाया गया 12 घंटे का बंद मंगलवार सुबह पांच बजे शुरू हो गया.

पूर्वात्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) ने इस विधेयक के खिलाफ शाम चार बजे तक बंद का आह्वान किया है. कई अन्य संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी इसे अपना समर्थन दिया है. इस बंद के आह्वान के मद्देनजर असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

नगालैंड में चल रहे हॉर्नबिल महोत्सव की वजह से राज्य को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है. दरअसल, पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासियों को डर है कि इन लोगों के प्रवेश से उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ सकती है.

बिल का विरोध कर रहे लोग सुबह से सड़कों पर उतर आए और टायरों में आग लगा कर अपना विरोध प्रकट किया. असम की राजधानी गुवाहाटी में सबसे ज्यादा बंद का प्रभाव देखने को मिल रहा है.

ये भी पढ़ें :लोकसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक पास, अब राज्यसभा की चुनौती

गौरतलब है कि असम के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है. आपकी जानकारी के लिए बता दें, सोमवार को लोकसभा से पारित हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा. अहम बात ये है आक्रोशित लोगों का विरोध देखते हुए, राज्य में हालात आज और भी ज्यादा बिगड़ सकते हैं.

गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के दायरे में लाने की बात कहने के बाद राज्य में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे द मणिपुर पीपल अगेंस्ट कैब (मैनपैक) ने सोमवार के अपने बंद को स्थगित करने की घोषणा की.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक (कैब) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.

बता दें, लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के बाद इसके पक्ष में सोमवार को 311 और विरोध में 80 मत पड़े, जिसके बाद इसे निचले सदन की मंजूरी मिल गई. इस विधेयक के खिलाफ क्षेत्र के विभिन्न संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

कांग्रेस, एआईयूडीएफ, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, कृषक मुक्ति संग्राम समिति, ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन, खासी स्टूडेंट्स यूनियन और नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन जैसे संगठन बंद का समर्थन करने के लिए एनईएसओ के साथ हैं.

इसके मद्देनजर गुवाहाटी विश्वविद्यालय और डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय ने कल होने वाली अपनी सभी परीक्षाएं टाल दी हैं.

गौरतलब है कि यह विधेयक अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम में लागू नहीं होगा, जहां आईएलपी व्यवस्था है इसके साथ ही संविधान की छठी अनुसूची के तहत शासित होने वाले असम, मेघालय और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्र भी इसके दायरे से बाहर होंगे.

Last Updated : Dec 10, 2019, 8:39 PM IST

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