नई दिल्लीः पिछले तीन दशकों से असम समझौते का मामला खिंच रहा है. इस मुद्दे का हल निकालने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया, जिसमें धारा 6 से जुड़े मु़द्दों पर चर्चा की गई. कमेटी की पहली बैठक शुक्रवार को हुई.
गौरतलब है कि कई सालों तक विदेशियों के खिलाफ असम में आंदोलन चला, जिसके बाद असम समझौते की धारा 6 पर 1985 में हस्ताक्षर किए गए थे.
बता दें यह समझौता राज्य के लोगों के लिए संवैधानिक सुरक्षा को सुनिश्चित करता है.
क्या है असम समझौते की धारा 6-
असम आंदोलन 1979-1985 तक चला था, जिसके बाद 15 अगस्त 1958 को असम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
समझौते की धारा 6 के मुताबिक, असम के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और प्रशासनिक सुरक्षा के उपाय प्रदान किए जाएंगे.
असम समझौते पर हस्ताक्षर होने के 35 साल बाद तक भी इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है.
गृह मंत्रालय में सभी 13 सदस्यों की पहली बैठक थी. इस दौरान बैठक में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी भी बैठक में मौजूद रहे.
AASU ऑल असम स्टू़डेंट्स यूनियन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा, यह बैठक पहली होने के साथ-साथ सफल भी रही.
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समुज्जल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि, असम ने 70 के दशक में असम आंदोलन ने शुरू किया था.
समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि जीके पिल्लई समिति की सिफारिशों और असम विधानसभा में पूर्व स्पीकर द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट पर विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि, जीके पिल्लई कमेटी की सिफारिशों और असम विधानसभा में पूर्व स्पीकर द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट पर विचार होना चाहिए.
भट्टाचार्य ने कहा, हमने रेखांकित किया है कि इस क्लॉज 6 में असेंबली, स्थानीय निकायों और संसद में अकुशल लोगों के लिए सीटें आरक्षित होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि, सरकारी नौकरियों में आरक्षण होना चाहिए, और साथ ही साथ असम में उन लोगों के लिए एक्सक्लूसिव लैंड राइट होना चाहिए, जो विभाजित नहीं हुए हैं.
भट्टाचार्य ने आगे कहा कि, असम के जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को कमेटी में शामिल करने पर भी जोर दिया गया है.
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 15 जुलाई को मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी सत्येंद्र गर्ग समेत 13 सदस्यों की हाई पावर कमेटी का गठन किया है.
गर्ग ने कहा, बैठक में सभी सदस्य उपस्थित थे. आज की बैठक में खासतौर पर संदर्भ की शर्तों पर चर्चा की गई. हमारे पास अगले छह महीनों में सरकार को रिपोर्ट सौंपने का जनादेश है.
आपको बता दें इस हाई लेवल कमेटी को 15 जनवरी 2020 तक अपनी रिपोर्ट देनी होगी.
कमेटी में सामाजिक, कानूनी, संवैधानिक विशेषज्ञों, कला, संस्कृति और साहित्य, संरक्षणवादी, अर्थशास्त्रियों, भाषाविदों और समाजशास्त्रियों के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा होगी.
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यह कमेटी असमी और असम की अन्य स्वदेशी भाषाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले उपायों का भी सुझाव देगी.