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सेना प्रमुख का नेपाल दौरा महत्वपूर्ण कूटनीति, रिश्तों में आ सकती है गर्माहट

भारत-नेपाल में सदियों पुराने रोटी-बेटी के संबंध हैं. लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को लेकर दोनों देशों के बीच हाल के दिनों में तनाव बढ़ गए हैं. इसी को कम करने के लिए और रिश्तों को फिर से जीवंत करने के लिए नई दिल्ली ने सेना प्रमुख को नेपाल भेजने का निर्णय लिया है.

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Published : Oct 25, 2020, 8:07 PM IST

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की चार नवंबर से शुरू होने वाली तीन दिवसीय महत्वपूर्ण नेपाल यात्रा से भारत को हिमालयी राष्ट्र के साथ दोबारा संबंध मजबूत होने की उम्मीद है. इस यात्रा को एक महत्वपूर्ण कूटनीति के रूप में देखा जा रहा है. थल सेनाध्यक्ष नेपाल के शीर्ष नेताओं और अपने सैन्य समकक्ष जनरल पूर्ण चंद्र थापा से मिलेंगे. एक उच्च पदस्थ सरकारी सूत्र ने कहा कि सेना प्रमुख को रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से 4 से 6 नवंबर तक नेपाल का दौरा करना है. काठमांडू में एक कार्यक्रम में 1950 से शुरू हुई परंपरा को जारी रखते हुए नेपाली राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी जनरल नरवणे को 'नेपाल सेना के जनरल' के मानद रैंक से सम्मानित करेंगी. भारत भी नेपाल सेना प्रमुख को 'जनरल ऑफ इंडियन आर्मी' का मानद पद प्रदान करता है.

म्यांमार यात्रा की तरह होगा महत्वपूर्ण

इस महीने की शुरुआत में, जनरल नरवणे ने विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ म्यांमार की एक बहुत ही महत्वपूर्ण यात्रा की. यात्रा के दौरान भारत ने म्यांमार की नौसेना को एक हमले वाली पनडुब्बी की आपूर्ति करने का फैसला किया. इसके अलावा सैन्य और रक्षा संबंधों को और गहरा बनाने पर सहमति व्यक्त की. नेपाल इस क्षेत्र में अपने समग्र रणनीतिक हितों के संदर्भ में भारत के लिए महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के नेताओं ने अक्सर सदियों पुराने रोटी-बेटी के संबंध को अहमियत दी है. नेपाल की समुद्र तक पहुंच भारत के माध्यम से है और यह भारत से और इसके माध्यम से अपनी आवश्यकताओं का सामान आयात करता है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2017 में भारत से नेपाल का आयात 6.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि देश में इसका निर्यात 420.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर आंका गया था. चीन दूसरे स्थान पर है, जहां से नेपाल अपनी आवश्यकताओं का आयात करता है. चीन से आयात का आंकड़ा भारत की तुलना में पांच गुना कम है.

काठमांडू के साथ समग्र संबंधों का विस्तार करना चाहता है भारत

भारत के रणनीतिक विचारक चीन द्वारा कई स्थानों पर नेपाली क्षेत्रों को हड़पने की रिपोर्टों से चिंतित हैं. हालांकि, काठमांडू ने स्पष्ट किया है कि अतिक्रमण नहीं हुए हैं. रिपोर्टों के अनुसार, बीजिंग तेजी से आगे बढ़ रहा है और अधिक से अधिक अतिक्रमण करके नेपाली सीमा में घुस रहा है. नाम न छापने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने कहा कि वास्तविक परिदृश्य बदतर हो सकता है, क्योंकि सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) चीन के विस्तारवादी एजेंडे को छुपाने की कोशिश में लगे हुए हैं. यह पता चला है कि भारत काठमांडू के साथ समग्र संबंधों का विस्तार करना चाहता है, बशर्ते उसके सुरक्षा हितों की रक्षा की जाए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख पास को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक सड़क का उद्घाटन करने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. नेपाल ने सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए दावा किया कि यह उसके क्षेत्र से गुजरता है. नेपाल ने इसके बाद लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्रों के रूप में दिखाया.

नक्शा जारी करने से बढ़ा विवाद

विवाद के दौरान जनरल नरवणे ने कहा था कि ऐसा लगता है कि नेपाल ने 'किसी और' के इशारे पर सड़क पर आपत्ति जताई है. उनका इशारा साफ तौर पर चीन की ओर था. नेपाल के बाद भारत ने भी नवंबर 2019 में एक नया नक्शा प्रकाशित किया और इसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्रों को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया. नेपाल द्वारा नक्शा जारी किए जाने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे 'एकतरफा कृत्य' कहा और काठमांडू को आगाह करते हुए कहा कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा 'कृत्रिम विस्तारवाद' स्वीकार्य नहीं होगा. नेपाली प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने कहा कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा नेपाल के हैं और भारत से उन्हें वापस लाने की कसम खाई है. नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा क्षेत्र कालापानी के पास लिपुलेख दर्रा एक पश्चिमी बिंदु है. भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र का एक अभिन्न अंग मानते हैं.

रॉ प्रमुख ने बदला नेपाल के पीएम का रुख

भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ भेंट करने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का रुख बदलता नजर आ रहा है. रॉ चीफ से मुलाकात के बाद नेपाली प्रधानमंत्री ने विजयादशमी की बधाई देने वाला ट्वीट किया है. खास बात यह है कि इसमें उन्‍होंने नेपाल का पुराना नक्‍शा इस्‍तेमाल किया है. माना जा रहा है कि अब तक भारत-नेपाल सीमा विवाद पर सख्‍त रवैया अपनाने वाले पीएम केपी शर्मा ओली के रुख में सामंत कुमार गोयल से मुलाकात के बाद बदलाव आया है. इसी का संकेत पीएम केपी शर्मा ओली ने ट्वीट के जरिए दिया है. गोयल ने बुधवार रात (21अक्टूबर) को अकेले में ओली से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की थी. यही नहीं भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवणे भी अगले महीने नेपाल की यात्रा पर जा रहे हैं. हालांकि, आने वाला वक्त ही बताएगा कि केपी शर्मा ओली इस रुख पर कितने दिनों तक टिके रहते हैं.

अकेले मुलाकात करने पर ओली को नेपाल के नेताओं ने घेरा

कूटनीतिक नियमों की अनदेखी कर रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ भेंट करने के कारण नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली खुद की पार्टी समेत अन्य दलों के नेताओं की आलोचना के केन्द्र में आ गए हैं. सत्तारूढ़ दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेता भीम रावल ने कहा कि रॉ प्रमुख गोयल और प्रधानमंत्री ओली के बीच जो बैठक हुई है, वह कूटनीतिक नियमों के विरूद्ध है और इससे नेपाल के राष्ट्रहितों की पूर्ति नहीं हुई. चूंकि यह बैठक विदेश मंत्रालय के संबंधित संभाग के साथ बिना परामर्श के गैर पारदर्शी तरीके से हुई, ऐसे में इससे हमारी राजकीय प्रणाली कमजोर होगी. एनसीपी के विदेश मामलों के प्रकोष्ठ के उपप्रमुख विष्णु रिजाल ने कहा कि कूटनीति नेताओं के द्वारा नहीं, बल्कि राजनयिकों द्वारा संभाली जानी चाहिए. रॉ प्रमुख की यात्रा पर वर्तमान संशय कूटनीति राजनेताओं द्वारा संभाले जाने का परिणाम है. नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय नेता गगन थापा ने ट्वीट किया, यह बैठक न केवल कूटनीतिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा भी पैदा करती है. इसकी जांच की जानी चाहिए.

तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों ने मुलाकात का किया खंडन

नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, माधव कुमार नेपाल (दोनों एनसीपी के नेता) और नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा ने मीडिया की इन खबरों का खंडन किया कि उनकी भी रॉ प्रमुख के साथ बैठक हुई है. गोयल की यात्रा भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की नवंबर के पहले सप्ताह में होने वाली नेपाल यात्रा से पहले हुई है.

भारत और नेपाल कर रहे फिर दोस्त बनने का प्रयास

रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने की शुरुआत भारत ने की. भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की नवंबर के पहले सप्ताह में नेपाल दौरे की घोषणा कर भारत ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया. जनरल नरवणे के नेपाल दौरे की घोषणा होने के कुछ घंटे बाद ही दोस्ती के जवाब में प्रधानमंत्री ओली ने ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी वापस लेते हुए अपने पास रख ली. हालांकि, पोखरेल को पीएमओ में कैबिनेट मंत्री के रूप में बनाए रखा. भारत से सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्री रहते हुए ईश्वर पोखरेल ने नेपाली सेना के प्रमुख को जबरन कालापानी भेजा था, जबकि नेपाली सेना का स्पष्ट मानना था कि भारत के साथ कूटनीतिक या राजनीतिक विवाद में सेना को न घसीटा जाए. इसके अलावा रक्षा मंत्री रहते हुए पोखरेल ने नेपाली सेना पर भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल नरवणे के नेपाल संबंधी बयान का विरोध करने और प्रतिक्रिया देने के लिए दबाव डाला था, जिसे नेपाली सेना ने सिरे से खारिज कर दिया था.

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