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सेना प्रमुख बोले- पीओके में हर समय रहते हैं आतंकी, चीन भी पाक समर्थन से हट रहा पीछे

जम्मू कश्मीर के संदर्भ में प्रमुख ने सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है और सेना आतंकी समूहों पर दबाव बनाकर रख रही है.

army chief naravane
सेना प्रमुख नरवणे

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Published : Feb 20, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 11:58 PM IST

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के संदर्भ में प्रमुख ने सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है और सेना आतंकी समूहों पर दबाव बनाकर रख रही है.

पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के हालात पर जनरल नरवणे ने कहा कि वहां 15-20 आतंकी कैंप हैं और लगभग 250-350 आतंकी किसी भी समय वहां मौजूद होते हैं. हालांकि, अलग-अलग समय पर आतंकियों की संख्या में बदलाव होता है.

जनरल नरवणे ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) के चल रहे पूर्ण सत्र के परोक्ष संदर्भ में कहा कि सीमापार आतंकवाद में कमी के मामले में एक बाहरी आयाम है.

चीन और पाकिस्तान की करीबी को लेकर एक टिप्पणी में जनरल नरवणे ने कहा कि पाकिस्तान को रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है और यहां तक कि चीन ने भी माना है कि वे अपने मित्र देश का हर समय समर्थन नहीं कर सकते.

सेना प्रमुख ने कहा, अगर एफएटीएफ पाक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करता है, तो पाक को आतंकी गतिविधियों के अलावा अपने इस मुद्दे पर भाषण देने पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं के कम होने में एफएटीएफ एक कारक रहा है.

बता दें कि एफएटीएफ पाक को ग्रे लिस्ट में डाले जाने के मुद्दे पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगा.

पाक सेना की बॉर्डट एक्शन टीम (बैट) की ओर से की जाने वाली हरकतों पर सेना प्रमुख ने कहा, भारतीय सैनिक किसी भी तरह के दुराग्रह को रोकने में सफल रहे हैं. उन्होंने बताया कि बैट भारत के खिलाफ कोई भी कदम उठा सकें, इससे पहले ही सेना उनके मंसूबों को नाकाम कर रही है.

बता दें कि पाक सेना के बैट में सेना के जवानों के अलावा जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े लोग भी शामिल होते हैं. बैट में शामिल लोग नियंत्रण रेखा से लगी भारत की चौकियों पर अचानक हमला करते हैं.

दिल्ली कैंट में थल सेना भवन बनाए जाने के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि इससे कार्यकुशलता बढ़ेगी. उन्होंने कहा, 'थल सेना भवन से सभी सेना मुख्यालय एक ही छत के नीचे आ जाएंगे. इससे कार्यकुशलता बढ़ेगी और कार्बन फुटप्रिंट और लॉजिस्टिक्स की जरूरतों में भी कमी आएगी. सेना भवन से दिल्ली में तैनात सैनिकों को परिवार के साथ समय बिताने का बेहतर मौका भी मिलेगा.'

Last Updated : Mar 1, 2020, 11:58 PM IST

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