नई दिल्ली : हर साल सर्दी के मौसम के दौरान दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हवा की गुणवत्ता बहुत खराब और गंभीर श्रेणी में पहुंच जाती है. ऐसी स्थिति में विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं पर वायु प्रदूषण के जोखिम पर चिंता जताई है.
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क, फेफड़े और अन्य अंगों के विकास पर स्थायी प्रभाव डाल सकता है.
वायु प्रदूषण लंबे समय से फेफड़े और हृदय के लिए चिंता का विषय है. पिछले कुछ वर्षों में, विशेषज्ञों ने पाया है कि वायु प्रदूषण विशेष रूप से एक बच्चे के शुरुआती वर्षों में मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है. यहां तक कि ऑटिज्म जैसे न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों का उच्च जोखिम होता है.
एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) के महानिदेशक डॉ. गिरिधर जे ज्ञानी का कहना है कि भारत में कम जन्म दर वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है. यह एक बहुत ही सामान्य खोज है. बच्चों में बुद्धिमत्ता के नुकसान के लिए वायु प्रदूषण भी एक कारक है. यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से ऊपर है, तो माताओं के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे पर समान प्रभाव होगा.
हाल ही में प्रकाशित, स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से पिछले साल भारत में लगभग 1.67 मिलियन बच्चों की मृत्यु हुई थी. अधिकांश मौतें जन्म के समय कम वजन और समय से पहले जन्म से संबंधित जटिलताओं से हुई थी, जो गर्भावस्था के दौरान मां के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने का प्रत्यक्ष परिणाम है.