श्रीगंगानगर: कोरोना संक्रमण के दौरान लोग घरों में रहकर सावधानी के साथ संक्रमण से बचने के उपाय कर रहे हैं. जब कोरोना के इस संकट में लोग घबराए हुए हैं, तब ग्रामीण क्षेत्र के लोग कोरोना से मुकाबला करने में लगे हुए हैं. ग्रामीण परिवेश में खान-पान, रहन-सहन और कठिन परिश्रम का ही असर है कि ग्रामीणों का इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और डॉक्टरों की ओर से कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और बच्चों पर बताया जा रहा है. ऐसे समय में साधुवाली गांव के कुछ ऐसे बुजुर्ग भी हैं जो 80 साल से अधिक उम्र में भी अपने मजबूत इम्यून सिस्टम के साथ कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. हालांकि गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने पिछले 90 साल में ऐसी बीमारी ना देखी ना सुनी है. ग्रामीण कोरोना संक्रमण से तो दूर है, लेकिन कोरोना से खतरा बताते हुए सावधानियां रखने की बात भी कहते हैं.
ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ गांव के बुजुर्गों के साथ बात करते हुए उनके स्वस्थ रहने के जीवन के अनुभव जाने हैं. ये हैं काशीराम दादरवाल! 87 बसंत देख चुके काशीराम आज भी इतने स्वस्थ हैं कि 87 साल की उम्र में इनको किसी अपने का सहारा लेकर नहीं चलना पड़ता है, बल्कि खुद अपनी साइकिल पर सवार होकर गांव से ढाणी और शहर तक का सफर अकेले तय करते हैं. काशीराम को साइकिल चलाते देखकर कोई नहीं बता सकता कि ये 87 साल का बुजुर्ग है. कांशीराम का घर साधुवाली ग्राम पंचायत के पास खेत में बनी ढाणी में है.