हैदराबाद : द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों ने अत्याचार, नरसंहार और कई बर्बर अपराध किए. दूसरे विश्व युद्ध के अंत में न्यूरेमबर्ग परीक्षणों द्वारा इन अमानवीय कृत्यों के लिए जिम्मेदार अपराधियों को गिरफ्त में लेने का प्रयास किया गया.
न्यूरेमबर्गपरीक्षण
युद्ध के बाद शीर्ष जीवित जर्मन नेताओं पर नाजी जर्मनी के अपराधों को लेकर मुकदमा चलाया गया. उनका परीक्षण जर्मनी के न्यूरेमबर्ग में एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य न्यायाधिकरण (आईएमटी) के समक्ष आयोजित किया गया.
मित्र देश जैसे ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ और संयुक्त राज्य के न्यायाधीशों ने 22 प्रमुख नाजी अपराधियों की सुनवाई की अध्यक्षता की.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने जर्मन सरकार, सैन्य और एसएस के उच्च-स्तरीय अधिकारियों और चिकित्सा पेशेवरों और प्रमुख उद्योगपतियों के न्यूरेमबर्ग में 12 अतिरिक्त परीक्षण किए.
न्यूरेमबर्ग में 999 अपराधियों का परिक्षण किया गया. इनमें से 161 को दोषी ठहराया गया और 37 को मौत की सजा दी गई. इनमें से 12 का परिक्षण अंतरराष्ट्रीय (आईएमटी) द्वारा किया गया था.
होलोकॉस्ट अपराधों को कुछ परीक्षणों में शामिल किया गया था, लेकिन केवल अमेरिकी परीक्षण का प्रमुख ध्यान आइंसटैगग्रुप्पेन (Einsatzgruppen) नेताओं पर था.
आइंसटैगग्रुप्पेन (Einsatzgruppen) 'परिनियोजन समूह' या 'टास्क फोर्स' नाजी जर्मनी के शुट्जस्टाफेल (Schutzstaffel) (एसएस) अर्धसैनिक मृत्यु दस्ते थे, जो मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान जर्मन के कब्जे वाले यूरोप में हत्याओं के लिए जिम्मेदार थे.
प्रतिवादियों ने खुद पर लगाए गए अपराधों के आरोपों से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं थे, क्योंकि वह उच्च अधिकारियों के आदेशों का पालन कर रहे थे.
वहीं, एडॉल्फ हिटलर ने युद्ध के अंतिम दिनों में आत्महत्या कर ली थी. दूसरी ओर कई और अन्य अपराधियों पर कभी मुकदमा नहीं चला. सैकड़ों लोग संयुक्त राज्य अमेरिका आ गए. जर्मनी और कई अन्य देशों में नाजियों का परीक्षण जारी रहा.
साइमन विसेन्थल (Simon Wiesenthal) ने एडोल्फ इचमैन (Adolf Eichmann) के बारे में युद्ध अपराध जांचकर्ताओं के लिए नेतृत्व किया. लाखों यहूदियों के निर्वासन की योजना बनाने और उनकी मदद करने वाले इचमैन को इजरायल में परीक्षण के लिए लाया गया.