दीपावली के त्योहारों की श्रृंखला के आखिरी पर्व के रुप में मनाए जाने वाले पर्व को भाई दूज या भैय्या दूज अथवा कहीं कहीं अन्नकूट के नाम से भी मनाते हैं. कुछ स्थानों पर इसे भ्रातृ द्वितीया या यम द्वितीया के नाम से जानते हैं. भाई दूज या भाई टीका एक हिंदू भाई बहन के प्रेम को प्रदर्शित करने वाला पर्व है. यह खुशी के साथ मनाये जाने वाले भारतीय त्योहारों में से एक है. यह हिंदू त्यौहार भारत के हर हिस्से में मनाया जाता है. महाराष्ट्र में इसे भाऊ-बीज और पश्चिम बंगाल में भाई फोंटा के रूप में भी जाना जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाने वाला यह त्योहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है. भाई-बहन के स्नेह को समर्पित यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाईयों के दीर्घायु व सुख समृद्धि की कामना करती हैं और इसके बदले भाईयों द्वारा अपने बहनों को उपहार स्वरुप कुछ न कुछ सगुन दिया जाता है.
यह होगा शुभ मुहूर्त
अबकी साल 2022 में भाई दूज का पर्व 26 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जायेगा, लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 2:42 से शुरू हो रही है और इसका समापन 27 अक्टूबर 2022 दोपहर 12:45 पर होगा. अबकी बार भाई दूज का तिलक का समय 27 अक्टूबर 2022 को दोपहर में 12:14 से 12:47 तक रहेगा.
आरती व टीका का महत्व
भाई दूज के अवसर पर बहनें अपने भाइयों को अपने यहां आमंत्रित करती हैं. बहनें अपने भाइयों का 'आरती' के साथ स्वागत करती हैं और उनके मस्तक पर सिन्दूर एवं चावल का तिलक लगाकर उनको मिठाई खिलाती हैं और उनके स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं. इसके बदले भाई अपनी बहनों के लिए जीवन की रक्षा करने के वायदे करता है तथा अपनी बहन को अपनी सुविधा के हिसाब से उपहार भेंट करता है. ऐसी महिलाएं जिनका कोई सगा भाई नहीं होता है, तो वह दूर के रिश्ते के भाई या मुंहबोले भाई के साथ इस त्योहार को मनाती हैं. इस दौरान वह आरती करते हुए चंद्रमा से भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. कई जगहों पर इस अवसर पर भाइयों को दावत भी दी जाती है. इस मौके पर बहनें भाई के पसंद की मिठाइयां व व्यंजन भी बनाकर उनको परोसतीं हैं.
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