हैदराबाद: बीते शनिवार भोपाल में एक युवती ने 7वीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी. बताया जा रहा है कि युवती के साथ 5 लाख रुपये का ऑनलाइन फ्रॉड हुआ था जिससे आहत होकर उसने मौत को गले लगा लिया. सुसाइड से पहले युवती ने अपने भाई को एक मैसेज और ऑडियो रिकॉर्डिंग भेजी थी जिसमें उसने बताया कि मैंने 5 लाख रुपये की रकम ऑनलाइन इन्वेस्ट कर गंवा दी, जो कि मेरी शादी और मां के इलाज के लिए थे. ये ख़बर सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे ऑनलाइन फ्रॉड और ठगी के मामले जिंदगी पर भी भारी पड़ सकते हैं. वैसे ऑनलाइन ठगी के बाद मौत को गले लगाने का पहला मामला नहीं है. देशभर में ऐसे कई मामले पहले भी आ चुके हैं.
दरअसल ऑनलाइन फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और आप जानकर हैरान होंगे कि सबसे ज्यादा साइबर ठगी के शिकार भारत के लोग होते हैं. आज हम 24 घंटे तकनीक से घिरे हुए हैं. स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, डिजिटल वॉलेट के जरिये आजकल पैसों का लेन-देन हो रहा है. ये तकनीक लेन-देन को आसान तो बनाती है लेकिन इसी तकनीक के सहारे साइबर ठग आपको और हमें शिकार बनाते हैं. क्या आप जानते हैं कि किस-किस तरह से होती है साइबर ठगी ? और अगर आपके साथ हो ठगी तो क्या करें ? ये सब आपको बताएंगे लेकिन पहले ये जान लीजिए कि
सबसे ज्यादा भारतीय होते हैं ऑनलाइन ठगी का शिकार
टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की हालिया ग्लोबल टेक स्कैम रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा भारतीय ही ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक साल में करीब 70 फीसदी भारतीय यूजर्स इसका शिकार हुए हैं. हालांकि इस दौरान दुनियाभर में ऑनलाइन ठगी के आंकड़ों में कमी आई है और ग्लोबल लेवल पर 59 फीसदी लोग ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हुए हैं. भारत में 24 से 37 साल के आयुव्रग के लोगों को ऑनलाइन ठगों ने सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है. इस उम्र के 58 फीसदी लोगों के साथ फ्रॉड हुआ जिनमें से 73 फीसदी पुरुष थे.
ये सर्वे रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में लोग आनलाइन फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं और सबसे ज्यादा ऐसे मामले भारत से सामने आ रहे हैं. इसका मतलब है कि यहां लोग आसानी से ठगों का शिकार होते हैं.
आपकी थोड़ी सी लापरवाही ठगों के लिए मौका
नोटबंदी से लेकर कोरोना से लगे लॉकडाउन के कारण देश में ऑनलाइन पेमेंट या डिजिटल पेंमेट का चलन तेजी से बढ़ा है. नेट बैंकिंग से लेकर कई तरह के पेमेंट एप या डिजिटल वॉलेट के जरिये भुगतान हो रहा है. ऐसे में ठगों ने भी तकनीक को ही हथियार बनाया है. ऐसे में आपकी थोड़ी सी सावधानी आपकी मेहनत की कमाई को लुटने से बचा सकती है.
1) बैंक खाते से जुड़ी जानकारी शेयर ना करें- इन जानकारियों के जरिये कोई भी आपकी मेहनत की कमाई पर हाथ साफ कर सकता है. ये ठगी का सबसे कॉमन तरीका है. जिसमें ठग आपको फोन करते हैं और आपके बैंक खाते या डेबिट/क्रेडिट कार्ड को अपडेट करने या जानकारी ले ली जाती है. ऐसे फोन कॉल से बचें और अपने बैंक खाते या डेबिट कार्ड से जुड़ी जरूरी जानकारियां जैसे ओटीपी, सीवीवी नंबर आदि किसी के साथ भी शेयर ना करें.
2) क्लोन एप से बचें- ये ठगों का नया हथियार है. दरअसल मौजूदा दौर में ऑनलाइन शॉपिंग और ई-कॉमर्स साइट का चलन बढ़ा है. ऐसे में ठगों द्वारा नामी वेबसाइट से मिलती जुलती साइट तैयार कर ली जाती है, जो देखने में बिल्कुल असली वेबसाइट जैसी नजर आएगी. ठग इन साइट्स को गूगल पर ट्रेंड करवाते हैं ताकि सर्च करने पर ये आपको ऊपर ही दिखाई दें. इन पर काफी कम कीमत पर सामान दिखाया जाता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा खरीदारी के चक्कर में लोग ऑनलाइन पेमेंट करते हैं और ठगे जाते हैं. क्योंकि भुगतान के बाद ना कंपनी से कोई संपर्क होता है और ना ही पैसे वापस मिलते हैं.
त्योहारों के सीजन में इस तरह के क्लोन एप पर बहुत ज्यादा ठगी होती है. इसलिये इन क्लोन एप से बचने के लिए आप जिस भी साइट से शॉपिंग करना चाहते हों उसका प्रॉपर यूआरएल ब्राउजर के एड्रेस बार में टाइप करके ही साइट पर जाएं और खरीदारी करें. मोबाइल एप भी उस कंपनी की वेबसाइट से ही डाउनलोड करें तो बेहतर होगा. इन दिनों साइबर अपराधियों ने 'एनी डेस्क' नाम के एप को हथियार बना लिया है. यह एप मोबाइल में डालते ही संबंधित मोबाइल साइबर अपराधियों के कंट्रोल में चला जाता है. इस एप को साइबर अपराधी मदद के नाम पर डाउनलोड करवाते हैं और फिर पूरे मोबाइल सिस्टम पर कब्जा जमा लेते हैं. इसके बाद ई-वॉलेट, यूपीआइ एप सहित बैंक खातों से जुड़े सभी एप को आसानी से ऑपरेट कर रुपये उड़ा रहे हैं.
3) लॉटरी, तोहफे, डबल स्कीम, डिस्काउंट से सावधान- लालच बुरी बला है, बचपन की किताबों में मिली ये सीख की अहमियत ठगने के बाद ही पता चलती है. ठग आपको मैसेज या फोन के जरिये आपकी लाखों की लॉटरी लगने, तोहफे मिलने, कम वक्त में पैसा डबल या किसी उत्पाद पर भारी डिस्काउंट देने के नाम पर संपर्क करते हैं. जिसके बाद उनके बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ली जाती है और ठगी का शिकार हो जाते हैं. इसलिए इस तरह के किसी भी झांसे में आने से बचें.
4) नौकरी, बिजनेस सेटअप के नाम पर ठगी- इस तरह की ठगी को अंजाम देने के लिए ठगों द्वारा ऐसा जाल बिछाया जाता है जिसमें बेरोजगार युवाओं और बिजनेस सेटअप लगाने की सोच रहे लोगों को निशाना बनाया जाता है. ठगी के ऐसे मामलों में भरोसा जताने के लिए ठगों की तरफ से अपने नुमाइंदे और सैंपल तक भेजे जाते हैं ताकि रोजगार और खासकर बिजनेस सेटअप लगाने की सोच रहे लोगों का भरोसा जीता जा सके. इसके बाद ही उनसे रकम बैंक खातों में जमा करवाई जाती है.
5) संदिग्ध QR कोड और लिंक से सावधान- कई बार आपके फोन या मेल पर ठगों की तरफ से लिंक या QR कोड भेजे जाते हैं. इन लिंक पर क्लिक करने और कोड को स्कैन करने पर ईनाम की राशि की बात कही जाती है. इसलिये संदिग्ध QR कोड को स्कैन और लिंक पर क्लिक करने से बचें. खासकर ये ध्यान रखें कि QR कोड का इस्तेमाल पैसे भुगतान करने के लिए होता है ना कि प्राप्त करने के लिए, इसलिये किसी के बहकावे में ना आएं.
6) सिम क्लोनिंग- ये एक नई तकनीक है इसके जरिये ठग आपके सिम की क्लोनिंग कर लेते हैं, ताकि बैंक से जुड़े मैसेज खासकर ओटीपी आपके फोन पर नहीं आते और आपको पता भी नहीं चलता कि आपके साथ ठगी हो चुकी है. लेकिन ऐसे मामलों में भी आपकी सावधानी ही आपको बचा सकती है, ठग जब भी सिम क्लोनिंग करते हैं तो उससे पहले आपके सिम पर ओटीपी नंबर आता है, जिसे वो आपसे बातचीत करते हुए पूछते हैं और आपकी तरफ से ओटीपी शेयर करते ही कुछ देर बाद आपका सिम डिएक्टिवेट हो जाता है.
7) टोल फ्री नंबर से ठगी- कई बार आप खुद ठगों के बिछाए जाल में फंस जाते हैं. बैंक खाते से जुड़ी किसी भी समस्या को लेकर आप इंटरनेट पर बैंक का नंबर तलाशते हैं और फिर कॉल करके अपनी परेशानी का हल ढूंढते हैं. लेकिन इंटरनेट पर मौजूद नंबरों में साइबर ठगों के नंबर भी होते हैं जो आपके सर्च करने पर आपको कई बार सबसे पहले नजर आते हैं. उन नंबरों पर कॉल मिलते ही वो आपके बैंक से जुड़ी जानकारी आपसे लेते हैं और आप ठगी के शिकार हो जाते हैं. ऐसे मामलों से बचने के लिए कोशिश करें कि बैंक जाकर ही अपनी समस्या का समाधान ढूंढे या फिर बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से कस्टमर केयर या बैंक का नंबर लें.