कानपुर देहातः14 फरवरी 1981 को जिले के राजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बेहमई गांव में एक नरसंहार हुआ था. इस नरसंहार को 'बेहमई कांड' के नाम से जाना जाता है. इस कांड में 22 लोगों को फूलन देवी के गिरोह ने लाइन में खड़ाकर गोली मार दी थी. इस कांड ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी. आज इस कांड के 40 साल पूरे हो गए हैं. फिर भी इस कांड में पीड़ित लोगों को न्याय नहीं मिला है.
क्या हुआ था बेहमई कांड में
14 फरवरी 1981 को चंबल की कुख्यात डकैत फूलन देवी ने यूपी के बेहमई गांव में ठाकुर जाति के 22 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बेहमई कानपुर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बसा एक छोटा सा गांव है. 14 फरवरी 1981 को फूलन के गिरोह ने गांव पर हमला बोला था.
बेइज्जती का लिया था बदला
फूलन देवी का गांव गुरहा का पूर्वा बेहमई से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है. उस दौर में इस इलाके में डकैतों का आतंक चलता था. बेहमई गांव के ठाकुर जाति के दो डकैतों लाला राम और श्रीराम ने फूलन का बेहरमी से गैंगरेप किया था. साथ ही बेहमई गांव में बेइज्जत करते हुए पूरे गांव में नग्न अवस्था में घुमाया था. उसके बाद फूलन देवी, दस्यु सुंदरी फूलन देवी बन गई. गैंगरेप और बेइज्जत का बदला लेने के लिए ही फूलन देवी ने बेहमई कांड को अंजाम दिया था.
कांड से जुड़े लोगों में अधिकांश की हो चुकी है मौत