हैदराबाद : कोरोना संकट के बीच आज देश में ईद उल-अज़हा (Eid al-Adha) का त्योहार मनाया जा रहा है. बकरीद के इस मौके पर देश की मस्ज़िदों में लोग नमाज़ पढ़ने के लिए उमड़ रहे हैं. हालांकि, इस बीच कोरोना गाइडलाइंस का भी ख्याल रखा जा रहा है. कई राज्य सरकारों ने इस मौके पर सख्त रुख अपनाते हुए गाइडलाइंस जारी की हैं.
बुधवार सुबह अमृतसर, दिल्ली के जामा मस्जिद समेत अन्य कई राज्यों की मस्जिदों में लोग नमाज़ पढ़ने के लिए जुटे.
राष्ट्रपति ने दी ईद की बधाई
इस खास मौके पर देशवासियों को बधाई देने का सिलसिला भी जारी है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर बधाई दी, राष्ट्रपति ने लिखा कि सभी देशवासियों को ईद मुबारक! ईद उल-अज़हा प्रेम, त्याग और बलिदान की भावना के प्रति आदर व्यक्त करने और समावेशी समाज में एकता और भाईचारे के लिए मिलकर कार्य करने का त्योहार है. आइए, हम कोविड-19 से बचाव के उपाय अपनाते हुए समाज के हर वर्ग की खुशहाली के लिए काम करने का संकल्प लें.
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर का संकट अभी देश में जारी है, इस बीच तीसरी लहर को लेकर अंदेशा भी जताया गया है. ऐसे में उत्तर प्रदेश समेत कई राज्य सरकारों ने अपने यहां ईद को लेकर गाइडलाइन्स जारी की हैं, लोगों से एक जगह बड़ी संख्या में इकट्ठा नहीं होने की अपील की गई है.
पीएम मोदी ने भी दी बधाई
पीएम मोदी ने भी ट्वीट करते हुए बकरीद पर देशवासियों को बधाई दी है. इसके साथ-साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी बधाई दी है.
ईद-अल-अजहा (Eid-Ul-Adha) के दिन आमतौर पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इसलिए देश में इसे बकरीद भी कहा जाता है. आज के दिन बकरे को अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं. इस धार्मिक प्रक्रिया को फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता है.
कुर्बानी का महत्व
बकरीद को ईद-अल-अजहा या फिर ईद-उल-जुहा भी कहा जाता है. यह रमजान की ईद के 70 दिनों बाद मनाई जाती है. आज नमाज अदा करने के बाद बकरों की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. जिसका एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है, दूसरे हिस्से को दोस्तों, सगे संबंधियों में बांटा जाता है. वहीं तीसरे हिस्से को खुद के लिए रखा जाता है. यह सामाजिक समरसता का भी सूचक है.
क्यों मनाई जाती है बकरीद
बकरीद मनाने के पीछे मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई थी. इसके लिए अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा था. इसके बाद इब्राहिम आदेश का पालन करने को तैयार हुए. वहीं बेटे की कुर्बानी से पहले ही अल्लाह ने उनके हाथ को रोक दिया. इसके बाद उन्हें एक जानवर जैसे भेड़ या मेमना की कुर्बानी करने को कहा गया. इस प्रकार उस दिन से लोग बकरीद को मनाते आ रहे हैं. इस दिन अपने प्रिय बकरे की कुर्बानी देने का भी रिवाज है.
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कोरोना गाइडलाइन का पालन
कोरोना महामारी की वजह से इस वर्ष भी लोगों से घरों में ही बकरीद मनाने की अपील की गई है. घर से ही नमाज अदा किया जा रहा है. बीते साल भी कोरोना की वजह से बकरीद में व्यवधान पड़ा था. सरकार और लोग कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए बकरीद का त्योहार मना रहे हैं.