हैदराबाद: प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार अट्टीपट कृष्णास्वामी रामानुजन की कविताएं मानवीय भावनाओं का बेहद सुंदर चित्रण हैं. इन कविताओं की खासियत यह भी है कि ये आधुनिकतावादी होने के साथ ही वैश्विक साहित्य से भी विषयगत और औपचारिक जुड़ाव रखती हैं. इसकी वजह ये है कि रामानुजन लंबे समय तक विदेश में रहे. आइए उनकी पुण्यतिथि (Attipate Krishnaswami Ramanujan Death Anniversary) पर जानते हैं जीवन और रचनाओं के कई अनछुए पहलुओं को...
कवि, अनुवादक और भाषाशास्त्री एके रामानुजन का जन्म मैसूर में हुआ. उन्होंने पुणे के डेक्कन कॉलेज और मैसूर विश्वविद्यालय से डिग्री तक की पढ़ाई की और इंडियाना विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. रामानुजन की जितनी बेहतर पकड़ कन्नड़ भाषा पर थी, उतना ही अंग्रेजी पर भी था.
मैसूर के अयंगर ब्राह्मण परिवार में हुआ जन्म
मैसूर के अयंगर (ब्राह्मण) परिवार में 16 मार्च 1929 को जन्मे कृष्णास्वामी रामानुजन का बचपन बेहद ही शैक्षणिक माहौल में बीता. वजह थी कि उनके पिता अत्तिपत असुरी कृष्णास्वामी मैसूर विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर और एक खगोलशास्त्री होने के साथ ही अंग्रेजी, कन्नड़ और संस्कृत भाषा के भी जानकार थे. वहीं उनकी माता मां अपने समय की एक कट्टर ब्राह्मण महिला थीं.
कृष्णास्वामी रामानुजन की शिक्षा की बात करें तो उनकी शिक्षा मारीमलप्पा के हाई स्कूल और मैसूर के महाराजा कॉलेज में हुई. कॉलेज में, रामानुजन ने अपने पहले वर्ष में विज्ञान में पढ़ाई की, लेकिन उनके पिता उन्हें गणितीय रूप से दिमागदार नहीं मानते थे. इसलिए एक दिन वे रामानुजन को कालेज रजिस्ट्रार के कार्यालय में ले गए और उनके विषय को विज्ञान से बदलकर अंग्रेजी करवा दिया. वे 1958-59 में पुणे के डेक्कन कॉलेज के फेलो और 1959-62 में इंडियाना विश्वविद्यालय के बेहद ही योग्य स्कॉलर रहे. उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त की और पीएचडी इंडियाना विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में की.
शुरुआती दिनों में अंग्रेजी के लेक्चरर के पद पर किया कार्य